Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

आर्थी व्यंजना

आर्थी व्यंजना साहित्य में एक व्यंजना है जिसमें व्यंग्यार्थ किसी शब्द पर आधारित न होकर उसके अर्थ से ध्वनित होता है।

यह केवल अर्थ की विशिष्टता के कारण सम्भव होती है। इसलिए शब्दों को बदलने पर भी व्यंजना में अन्तर नहीं आता, बशर्ते अर्थ न बदले।

वाच्यार्थ पर अवलंबित आर्थी व्यंजना को वाच्यसंभवा, लक्ष्यार्थ पर अवलम्बित आर्थी व्यंजना को लक्ष्यसंभवा तथा व्यंग्यार्थ पर अवलम्बित आर्थी व्यंजना को व्यंग्यसंभवा कहा जाता है।

मम्मट ने दस अर्थवैशिष्ट्य बताये हैं। ये हैं - वक्तृ, बोधव्य, काकु, वाक्य, वाच्य, अन्यसन्निधि, प्रस्ताव, देश, काल तथा चेष्टा।

इस प्रकार इन दस भेदों के साथ तीनों प्रकार की आर्थी व्यंजना को मिला देने से आर्थी व्यंजना के 30 अवान्तर भेद सम्भव होते हैं।

आसपास के पृष्ठ
आर्या छन्द, आलम्बन विभाव, आलस्य, आलोचना, आंवला, आवृत्तिवाद

Page last modified on Monday June 26, 2023 06:54:45 GMT-0000