इच्छाद्वैत
इच्छाद्वैत सखी-सम्प्रदाय का सिद्धान्त है। सखी सम्प्रदाय को द्वैताद्वैत की ही एक शाखा माना जाता है परन्तु स्वयं इस सम्प्रदाय वाले स्वयं को स्वतंत्र मतावलम्बी मानते हैं। हरिदासजी सखी सम्प्रदाय के प्रवर्तक हैं। उन्होंने अपने मत के बारे मे कहा -नाहीं द्वैताद्वैत है, नाहीं विशिष्टाद्वैत।
बंध्यौ नाहीं मतवाद में, ईश्वर इच्छाद्वैत।