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उपचेतन

उपचेतन मानव मन की वह अवस्था है जो चेतन तथा अचेतन के बीच है। इसी उपचेतन को कई बार अवचेतन भी कहा जाता है।

मनोविज्ञान में उपचेचन पर व्यापक विवेचन हुआ है और माना गया कि यह उपचेतन मानव मन में अप्रकट रूप से विद्यमान रहता है।

यह अवसर आने पर प्रकट हो जाता है। जैसे गद्य पढ़ते समय काव्यचेतना उपचेतन अवस्था में चली जाती है परन्तु कविता उपस्थित होते ही उपचेतन की यही काव्यचेतना उभर आती है।

मनोरोग विशेषज्ञ बताते हैं कि उपचेतन या अवचेतन में जो होता है उसका प्रभाव प्रकारान्तर से मनुष्य के व्यक्तित्व पर पड़ता है। खण्डित व्यक्तित्वों वाले मनोरोगियों में यह जटिल स्थिति धारण कर लेता है।

मानव मन का चेतन पक्ष अनेक बार उपचेतन या अवचेतन का दमन करता है। इस दमन के कारण भी अनेक मनोरोग उत्पन्न होते हैं।

फ्रायड जैसे मनोवैज्ञानिक ने उपचेतन की कामभावना के दमन पर काफी काम किया तथा अनेक मनोरोगियों की दशा का अध्ययन किया। उपचेतन में काम भावना आदि का बना रहना अनेक मनोरोगों को जन्म देता है, उनका कहना था।

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उपदेशवाद, उपन्यास, उपमा, उपमान, उपमेय

Page last modified on Monday May 26, 2025 01:35:54 GMT-0000