उल्लाला
साहित्य में उल्लाला एक मात्रिक अर्धसम छन्द है।
उल्लाला छन्द में पहले और तीसरे में पन्द्रह-पन्द्रह तथा दूसरे और चौथे पद में तेरह-तेरह मात्राएं होती हैं।
छप्पय जैसे छन्दों के साथ उल्लाला का प्रयोग बहुतायत में मिलता है। परन्तु स्वतंत्र रूप से भी इसका उपयोग होता है।