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काजला

काजला या कजरा एक गीत है जो जननी के लिए उसकी संतान की छठी के दिन गाया जाता है। जच्चा के लिए गाया जाने वाला यह अन्तिम गीत होता है।

छठी के इस उत्सव में जच्चे की ननद अर्थात् बच्चे की बुआ जच्चे और बच्चे को काजल लगाती है। इसका उल्लेख इन गीतों में भी होता है।

काजल लगाने की एक विधि विवाहोत्सव के समय भी होती है, जिसे काजर पारना कहते हैं। इसमें वर को काजल लगाया जाता है और उस समय कजरा गाया जाता है। इस समय के कजरा गीत में भी वर को काजल लगाने का उल्लेख होता है।

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