Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

चंडाग्नि

चंडाग्नि अवधूती मार्ग में एक वैसी अग्नि है जो प्रज्ज्वलित होने पर समस्त क्लेश तथा वासनाओं को भस्म कर देती है। वज्रयोग में पवन-निरोध के बाद यह प्रज्ज्वलित होती है। इसे प्रज्ज्वलित करने के लिए योगी पवनबंध द्वारा नौ इन्द्रियद्वारों को बंद कर दसवें द्वार, अर्थात् ब्रह्मरन्ध्र अथवा वैरोचन द्वार को उद्धाटित करते हैं।

शैव पद्धति में इसी चण्डाग्नि को ब्रह्माग्नि कहा जाता है।

सन्त तथा नाथपंथी साहित्य में भी इसका उल्लेख मिलता है। यह अलग बात है कि नाथपंथी तथा संत इसे चंडाग्नि का नाम नहीं देते।

Page last modified on Tuesday April 21, 2015 17:09:38 GMT-0000