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तद्गुण

तद्गुण का अर्थ है किसी वस्तु में किसी अन्य वस्तु का गुण (रंग और रूप) होना।
साहित्य में तद्गुण एक अलंकार है जिसमें प्रस्तुत अपना गुण त्यागकर समीपस्थ किसी अप्रस्तुत का गुण ग्रहण करता है। दूसरे का गुण ग्रहण करने के बाद उसे त्यागकर जब अपना गुण ग्रहण किया जाता है तब भी तद्गुण अलंकार होता है।

उदाहरण – अधर धरत हरि के परत, ओठ डीटि पटपट जोति।
हरित बांस की बांसुरी, इन्द्रधनुष रंग होति। - बिहारी के सतसई से

Page last modified on Friday March 3, 2017 06:14:41 GMT-0000