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तीन ग्रन्थियां

योगशास्त्र में तीन ग्रंथियों की चर्चा बार-बार आती है। ये हैं - ब्रह्मग्रन्थि, विष्णु ग्रंथि, तथा रुद्रग्रंथि।

ब्रह्मगंथि मूलाधार पद्म में अवस्थित है जिसे कुण्डलिनी जागरण के समय खोलना पड़ता है तभी जाकर मूलाधार चक्र में प्रवेश मिलता है। प्रबुद्ध कुण्डलिनी को षट्चक्रों में प्रविष्ट करना होता है जिसकी पहली सीढ़ी में ब्रह्मग्रंथि को ही खोलना होता है।

उसके बाद विष्णु ग्रंथि को खोला जाता है जिससे अनाहतपद्म में प्रवेश मिलता है। अन्त में रुद्रगंथि को खोलकर सहस्रार में प्रवेश करने का विधान है। 'सिंभु दुवार' नाम से संत जिसकी चर्चा करते हैं वह यही रुद्रगंथि है।

योगी के लिए इन ग्रंथियों को खोलना आवश्यक माना जाता है।

Page last modified on Friday March 10, 2017 05:39:55 GMT-0000