दुर्मल्लिका
दुर्मल्लिका एक प्रकार का नाटक होता है। इसमें चार अंक होते हैं। पहला अंक छह घड़ी का होता है तथा विट की क्रीड़ा रहती है। विदूषक का वाग्विलास दूसरे अंक में 10 घड़ी तक चलता है। पीठमर्द का विलास तीसरे अंक में 12 घड़ी, और अन्य जनों (पुरुषों) की क्रीड़ा चौथे अंक में बीस घड़ी तक चलती है। नायक की जाति निम्न होती है, सभी पुरुषपात्र चतुर होते हैं, इसमें गर्भसंधि नहीं होती, तथा कैशिकी एवं भारती वृत्तियों का प्रयोग होता है।