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दोजक

दोजक या दोजग फारसी के दोजख शब्द से ही निकला है, परन्तु दोजख का अर्थ जहां नरक होता है वहीं दोजक या दोजग शब्द का प्रयोग कई स्थानों पर एक भिन्न अर्थ में लगभग स्वर्ग के अर्थ में किया गया है।
उदाहरण के लिए कबीरदास की रचना प्रस्तुत है –
दिलनापाक पाक नहिं चीन्हा तिसका मरम न जाना।
कहै कबीर भिसति छिटकाई दोजग ही मन माना।
यहां भिसति का अर्थ अभीष्ट है और इसलिए दोजग का अर्थ अपरलोक या स्वर्ग ही होना चाहिए। भला नरक कभी अभीष्ट हो सकता है!


Page last modified on Sunday April 2, 2017 16:36:08 GMT-0000