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नचारी

नचारी एक प्रकार का गीत है, जो भारत के बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में लोकप्रिय है। ये गीत शिवभक्ति के गीत हैं। नाचना क्रिया से इसकी शाब्दिक उत्पत्ति बतायी जाती है। कहा जाता है कि पहले शिवभक्ति में नाच-नाचकर इन गीतों को गाया जाता था, परन्तु आज इन गीतों को बहुधा बिन नाचे ही गाया जाता है।

मैथिल स्त्रियां विवाह तथा अन्य मांगलिक अवसरों पर नचारी गाती हैं। वे हास्य तथा व्यंग्य के रूप में भी नचारी गीतों के लय का उपयोग करती हैं। साधु और भिखमंगे भी नचारी गाते हुए भिक्षाटन करते पाये जाते हैं।

मैथिल कवि विद्यापति के नचारी गीत बहुत लोकप्रिय हैं। उनके एक गीत का उदारहण देखें -
कखन हरब दुःख मोर, हे भोलानाथ।
दुखहि जनम भेल, दुखहिं गमाएब, सुख सपनहुं नहिं भेल, हे भोलानाथ।

Page last modified on Sunday April 9, 2017 06:26:31 GMT-0000