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नव अभिजात वर्ग

राजतंत्र की समाप्ति के बाद लोकतंत्र के आते ही जब सामंती व्यवस्था ध्वस्त हो गयी तथा लोकतांत्रिक समाज अस्तित्व में आया तब अभिजात वर्ग ने भी अपना स्वरुप बदल लिया। अभिजात वर्ग के इसी बदले हुए स्वरुप को देखते हुए इसे नव अभिजात वर्ग कहा गया। इस वर्ग में उन चंद लोगों को रखा जा रहा है जो शारीरिक श्रम को अब भी अपने जीवन में स्थान नहीं देते तथा सत्ता और सम्पत्ति का आनंद उठाते हैं।

नव अभिजात वर्ग में बड़े-बड़े अधिकारी, उद्योगपति, राजनेता, आदि आते हैं। इन्होंने अपने-अपने स्तर के क्लब बना रखे हैं तथा उसमें किसी सामान्य व्यक्ति को शामिल नहीं किया जाता है। जाने-माने लब्ध प्रतिष्ठ लोगों को ये अपने ही सम्मान के लिए इन क्लबों की सदस्यता देते है। परन्तु उन लब्ध प्रतिष्ठ लोगों में भी चयन उनका ही किया जाता है जो नव अभिजात वर्ग का पक्ष पोषण करने वाला हो या उनके ही विचार-धारा का हो।

समाज की सम्पदा तथा सत्ता को वास्तव में ये ही प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रुप से नियंत्रित करते हैं। ये समाज में समता और न्याय की बात बढ़-चढ़कर करते हैं परन्तु वास्तव में ये सत्ता तथा सम्पत्ति के लोलुप होते हैं तथा उसके लिए ये गुप्त रुप से कुछ भी नैतिक-अनैतिक कर्म करते हैं।


Page last modified on Monday December 30, 2013 09:35:40 GMT-0000