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निघण्टु

निघण्टु एक वैदिक कोष है। इसमें पांच अध्याय हैं। पहले तीन अध्याओं में एकार्थक शब्द और उनके कई-कई पर्यायवाची शब्द दिये गये हैं। चौथे अध्याय में अनेकार्थक शब्द दिये गये हैं जिनमें प्रत्येक शब्द के कई अर्थ शामिल किये गये हैं। पांचवें अध्याय में देवता वाचक शब्द दिये गये हैं।

निघण्टु आयुर्वेद के शब्द कोष को भी कहा जाता है।

Page last modified on Wednesday May 28, 2025 15:36:24 GMT-0000