निम्बार्क दर्शन
निम्बार्क दर्शन के अनुसार प्रकृति ब्रह्म की शक्ति है। ब्रह्म तथा शक्ति दोनों भिन्न-भिन्न हैं। जगत् की उत्पत्ति से ब्रह्म की निर्विकारता में व्याघात नहीं हो सकता, क्योंकि जगत शक्ति का परिणाम है (शक्तिविक्षेपलक्षण-परिणाम), न कि ब्रह्म का स्वरूपपरिणाम।आसपास के पृष्ठ
नियम, निर्णयात्मक आलोचना, नूतन, नैतिक आदर्शवाद, नैसर्गिक आलोचना, पंच ककार