ब्रह्मविवर्तवाद ब्रह्मविवर्तवाद आध्यात्म में एक मत है। इसके अनुसार जगत तथा जीव ब्रह्म के विवर्त हैं, अर्थात् मायामय परिणाम हैं। शंकर इस मत के प्रणेता हैं। उनका मत था कि ब्रह्म परिणामी तथा परिवर्तनशील नहीं है बल्कि नित्य पूर्ण सत् है।