Loading...
 
(Cached)

भाव

भाव अस्तित्व को करते हैं। अर्थात् भाव का अर्थ विद्यमान होना है। यही सत् है।
श्रीमद्भगवद्गीता में कहा गया है ‘नासते विद्यते भावो’, अर्थात् जिसका अस्तित्व है वह असत् नहीं हो सकता।
भाव अभाव के विपरीत अवस्था है।


Page last modified on Monday March 17, 2014 06:47:20 GMT-0000