वर-वधू मिलान में वर्ग विचार
समस्त हिन्दी वर्णमाला के अक्षरों को आठ वर्गों में विभक्त किया गया है। जिन व्यक्तियों को अपना वर्ग जानना हो वे अपने नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर अपना वर्ग जान सकते हैं।ये वर्ग तथा इनके अधिपति निम्न प्रकार हैं -
1. अ-वर्ग – अधिपति गरुड़
2. क-वर्ग – अधिपति मार्जार
3. च-वर्ग – अधिपति सिंह
4. ट-वर्ग – अधिपति श्वान
5. त-वर्ग – अधिपति नाग
6. प-वर्ग – अधिपति मूषक
7. य-वर्ग – अधिपति मृग
8. श-वर्ग – अधिपति मेढ़ा या मेष
इन वर्गों के पांच प्रकार के सम्बंध माने जाते हैं -
1. एक वर्ग
2. शत्रु वर्ग
3. मित्र वर्ग
4. उदासीन वर्ग, तथा
5. सम वर्ग
वर-वधु मेलापक गणना में इन वर्गों का विचार यह जानने के लिए किया जाता है कि वर्गेश या वर्ग अधिपतियों के आपसी सम्बंध कैसे हैं -
यदि वर्ग दोष हो अर्थात् दोनों वर्गों के सम्बंध शत्रु के हों तो विवाह वर्जित कर दिया जाता है, परन्तु राशि तथा ग्रह मैत्री होने पर इस दोष का परिहार हो जाता है।
गरुड़ | मार्जार | सिंह | श्वान | नाग | मूषक | मृग | मेष | वर्ग |
नाग | मूषक | मृग | मेष | गरुड़ | मार्जार | सिंह | श्वान | शत्रु |
श्वान | नाग | मूषक | मृग | मेष | गरुड़ | मार्जार | सिंह | मित्र |
सिंह | श्वान | नाग | मूषक | मृग | मेष | गरुड़ | मार्जार | उदासीन |
मार्जार | सिंह | श्वान | नाग | मूषक | मृग | मेष | गरुड़ | सम |
मूषक | मृग | मेष | गरुड़ | मार्जार | सिंह | श्वान | नाग | सम |
मृग | मेष | गरुड़ | मार्जार | सिंह | श्वान | नाग | मूषक | सम |
मेष | गरुड़ | मार्जार | सिंह | श्वान | नाग | मूषक | मृग | सम |
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