यहां नई दिल्ली में विश्व बैंक और भारत के बीच इसको लेकर एक समझौता हुआ। बाद में दोनों पक्षों की और से संयुक्त बयान भी जारी हुआ।

इस अवसर पर विश्व बैंक के प्रमुख राबर्ट ज़ोएलिक ने कहा कि इस पहल के दौरान नदी के पूरे ढाई हज़ार किलोमीटर के दायरे का ध्यान रखा जाएगा और प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं से निबटा जाएगा।

इस अभियान के दौरान सीवेज संयंत्र स्थापित किए जाएँगे, नालों की व्यवस्था सुधारी जाएगी ताकि जल की गुणवत्ता को सुधारा जा सके।

बुधवार को भारत के वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के साथ मुलाक़ात में विश्व बैंक प्रमुख ने एक अरब डालर की वित्तीय सहायता मुहैया कराने की हामी भरी.

इस मौक़े पर जयराम रमेश ने कहा कि गंगा परियोजना राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है। यह खुशी की बात है कि विश्व बैंक इसमें हमारी मदद को आगे आया है।

विश्व बैंक प्रमुख ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव बताते हैं कि बड़ी नदियों की स्वच्छता बचाए रखना चुनौती भरा काम है और इसमें काफ़ी समय लगता है इसलिए ऐसी परियोजनाओं के प्रति प्रतिबद्धता काफ़ी महत्वपूर्ण है।

ग़ौरतलब है कि गंगा के तट पर घने बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से गंगा का प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है।

गंगा को लेकर पहले भी कई प्रयास हुए हैं लेकिन उनमें सफलता नहीं मिली।

गंगा को राष्ट्रीय धरोहर भी घोषित कर दिया गया है और गंगा एक्शन प्लान व राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना लागू की गई है।#