पामोलिन घोटाले से संबंधित एक रिपोर्ट में एक समाचार चैनल ने इस बात का उद्धाटन किया है कि विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्यूरो के वकील ने अदालत में गुजारिश की थी कि उस घोटाले मे मुख्यमंत्री चांडी को अभियुक्त माना जा सकता है। गौरतलब है कि इस बात को अदालती कार्रवाई के समय दबा दी गई थी। अदालत ने श्री चांडी की घोटाले में भूमिका की जांच का आदेश जारी किया था, लेकिन वह आदेश देते समय उन्हें अदालत ने उन्हें अभियुक्त मानने की बात नहीं कही थी।
इसमें दिलचस्प बात यह है कि 7 मई तक ब्यूरों की वह रिपोर्ट तैयार हो गई थी, लेकिन उसे अदालत में 13 मई को दोपहर के बाद दाखिल किया गया । उसका कारण यह था कि तबतक यह जाहिर हो गया था कि राजय में यूडीएफ की ही सरकार बनेगी। यदि उस रिपोर्ट में वकील की श्री चांडी को अभियुक्त मानने की राय अदालत के सामने रखी जाती, तो श्री चांडी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार अपने जन्मकाल से ही जबर्दस्त संकट का शिकार हो जाती। इसे रिपोर्ट में उस राय को दबा दिया गया।
ब्यूरों के स्पेशल पीएस ने अपनी वह राय ठोस सबूतों के आधार पर दी थी। ब्यूरों को तो उससे संबंधित वे सूचनाएं खदु श्री चांडी से भी मिली थी। गौरतलब है कि 19 जनवरी, 2005 को अपने एक प्रेस कान्फ्रंेस में चांडी ने कहा था कि पामोलिन घोटाले के बारे में उन्हें सबकुछ पता था। श्री चांडी ने दावा किया था कि पामोलिन का आयात इसलिए करना पड़ा था, क्योकि वह उस समय बहुत जरूरी हो गया था। आयात के लिए टेडर आमंत्रित न किए जाने की सूचना उन्हें थी और 15 फीसदी सेवा शुल्क पर सरकार ने किसी तरह का कोई मोलतोल नहीं किया था, इसके बारे में भी उनको जानकारी थी।
सनद रहे कि पामोलिन घोटाला 1992 में हुआ था। उस समय के करुणाकरण राज्य के मुख्यमंत्री थे और श्री चांडी उनकी सरकार में वित्त मंत्री। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हटाए गए नौकरशाह सीवीसी थामस उस समय उस सरकार में एक सचिव थे। थामस पर अभी भी मुकदमा चल रहा है और उसके कारण ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सीवीसी पद के लिए अनुपयुक्त माना था।
नये तथ्यों के खुलासे के बाद न तो कांग्रेस और न ही उसके नेतृत्व वाले यूडीएफ ने अब तक कुछ कहा है। खुद मुख्यमंत्री चांडी का कहना है कि इसके बारे में उन्हें कुछ भी नहीं पता था कि स्पेशल पीपी ने उन्हें अभियुक्त मानने की राय दी थी।
विपक्षी एलडीएफ ने समय गंवाए बिना मुख्यमंत्री चांडी के खिलाफ एक बड़े मार्च का आयोजन कर डाला। वह बड़ा मार्च राज्य सचिवालय पर समाप्त हुआ। राज्य भर में मुख्यमंत्री के इस्तीफे के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं।
उसी तरह आइसक्रीम पार्लर मुकदमें में भी कुछ नई बातें सामने आई हैं। इस मुकदमे में यूडीएफ की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता कुन्हाली कुट्टी शामिल हैं।ं उनके पुराने साथी के ए रौफ ने इस बात का उद्घाटन किया है कि श्री कुन्हालकुट्टी ने उन्हें सेवानिवृत जज एम ए नजीर की सहायता लेने को कहा ताकि मुकदमे की सुनवाई कर रहे जज पद्मनाभन को प्रभावित किया जा सके।
इन दोनों मामलों ने राज्य सरकार की हालत और भी पतली कर दी है। (संवाद)
नये राजनैतिक झंझावात में यूडीएफ सरकार
पामोलिन और आइसक्रीम पार्लर मामले में नया मोड़
पी श्रीकुमारन - 2011-08-26 11:35
तिरुअनंतपुरमः पामोलिन और आइसक्रीम मामलों में कुछ नई बातें सामने आई हैं और उसके कारण पहले से ही परेशान यूडीएफ सरकार की परेशानियां और भी बढ़ गई है। सच कहा जाए, तो एक नया राजनैतिक तूफान शक्ल लेता प्रतीत हो रहा है, जिसमें राज्य की सरकार का भविष्य डांवाडोल दिखाइ्र पड़ रहा है।