पिछले कुछ सालों में अकेले ़ित्रपुरा में रबड़ उत्पादन के लिए 40 हजार हेक्टर अतिरिक्त जमीन को शामिल कर लिया गया है। एक लाख हेक्टर अतिरिक्त जमीन को आने वाले दिनों में रबड़ की खेती के लिए चिन्हित भी कर लिया गया है।

असम में भी रबड़ की खेती को बढ़ावा देने के लिए 2 लाख हेक्टर जमीन की पहचान कर ती गई है। उनमें 20 हजार हेक्टर जमीन पर तो खेती होने भी लगी है। उम्मीद की जा रही है कि शेश जमीन को भी रबड़ की खूती के दायरे में शीघ्र ही लाया जाएगा।

हमारे देश में रबड़ उत्पादन का सबसे बड़ा राज्य केरल है। उसके बाद सबसे ज्यादा रबड़ उत्पादन त्रिपुरा में ही होता है। केन्द्रीय वाणिज्य राज्यमंत्री जयराम रमेश ने रबड़ बोर्ड के अधिकारियों को आदेश दिया है कि त्रिपुरा सहित पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में रबड़ उत्पाादन को बढ़ावा देने की हर संभव कोशिश की जाय।

भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा रबड़ उत्पादक देश है, हालांकि यह सबसे बड़ा रबड़ उपभोक्ता देश नहीं है। रबड़ कर सबसे ज्यादा उपभोग चीन में होता है। उसके बाद अमेरिका का नंबर है। उपभोग के मामले में भारत का स्ािान इन दोनों देशों के बाद तीसरा है। लेकिन हमारे देश में रबड़ की खपत तेजी से बढ़ रही है और इसका सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद हमें अपनी रबड़ जरूरतों को पूरा करने के लिए इसके आयात पर निर्भर रहना पड़ता है।

वाणिज्य राज्य मंत्री जयाराम रमेश को पूरा यकीन है कि यदि केरल, असम और त्रिपुरा में रबड़ उत्पादन पर ध्याद दिया गया तो हम रबड़ के मामले में स्वावलंबी बन जाएंगे और इसका आयात बीते जमाने की चीज बन कर रह जाएगा। (संवाद)