इस उपचुनाव में कोर्इ खास मुददा नहीं है। इसमें होने वाली हार जीत से केन्द्र की सरकार पर कोर्इ फर्क नहीं पड़ने वाला है और न ही हरियाणा की सरकार प्रभावित होने वाली है। राज्य में भूपींदर सिंह हुडडा की सरकार की उपलबिधयां या नाकामियोेंको भी इसमें शायद की मुददा बनाया जा सके। हरियाणा सरकार से लोगों की नाराजगी है, और दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी सरकार को सफल बताने की कोशिश कर रही है, लेकिन नाराजगी अथवा बेहतर प्रशासन के दावे का भी कोर्इ खास असर 13 अक्टूबर को होने वाले मतदान पर पड़ने नहीं जा रहा है।
यहां चुनाव जाति के आधार पर लड़ा जाएगा। कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार मुख्य रूप से जाटों के वोटों पर आश्रित हैं, तो कुलदीप बिश्नार्इ गैर जाट वोटों को गोलबंद कर चुनाव जीतने की कोशिश करेंगे। जाटों पर देवीलाल का कभी बोलबाला होता था। लेकिन उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला को जाटों का वैसा समर्थन नहीं प्राप्त है। इसका कारण उनका अपना व्यवहार है।
जाटों के साथ ओमप्रकाश चौटाला के खराब व्यवहार का ही नतीजा था कि 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी पार्टी को करारी शिकस्त दी थी। तब चौटाला की पार्टी को मात्र 9 सीटें ही हासिल हुर्इ थीं। जाटों के एक बड़े हिस्से ने उस चुनाव में उन्हें छोड़ दिया था। पर उसके बाद 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में चौटाला की ओर जाट फिर मुखातिब हुए। इसके कारण उनकी पार्टी को विधानसभा में 31 सीटें मिल गर्इ। कांग्रेस को मात्र 40 सीटें ही मिल पार्इ थीं, जो बहुमत से कम था। पहले निर्दलीय विधायको ंका सहारा लेकर हृडडा ने अपनी सरकार बनार्इ और फिर हरियाणा जनहित कांग्रेस के 5 विधायकों को कांग्रेस में मिलाकर अपनी सरकार को सिथर कर डाला।
इस बार फिर हुडडा और चौटाला के बीच जाट वोटों के लिए संधर्ष हो रहा है। दोनों ज्यादा से ज्यादा जाटों को अपनी ओर ,खींचने की कोशिश कर रहे हैं। कांगेस के पास जाटों के अलावा गैर जाट मत भी हैं। हालांकि वे मुख्यमंत्री से नाराज भी दिख रहे हैं। इसका कारण यह है कि हरियाणा सरकार जाटों को तवज्जो दे रही है और गैर जाटों के साथ अन्याय हो रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री इस तरह के प्रचार का विरोध कर रहे हैं और कहते हैं कि उनकी सरकार सब पर समान रूप से ध्यान देती है। उनके इस दावे के बावजूद जाटों के प्रति प्रशासन का पक्षपात पूर्ण रवैया देखा जा सकता है।
दूसरी तरफ अजय चौटाला जाटों के ज्यादा वोट पाने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन उन्हें पता है कि वे सिर्फ जाटों का मत पाकर ही जीत दर्ज नहीं कर सकते। इसलिए वे गैर जाटों को भी अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैंं। सरकार के खिलाफ लोगों में व्याप्त रोष को वे भुनाने की कोशिश करेंगे।
भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नार्इ अपनी जीत के लिए गैर जाट मतों पर निर्भर हैं। भाजपा से गठबंधन करके उन्होंने गैर जाट मतों में बिखराव की संभावना को समाप्त करने की कोशिश भी की है। जाट मतों के अपने दो प्रतिस्पर्धी उम्मीदवारों के बीच बंटने का लाभ पाने की उम्मीद भी वे कर रहे हैं। (संवाद)
हिसार लोकसभा उपचुनाव: जाति के आधार पर लड़े जा रहे चुनाव
बी के चम - 2011-09-20 11:37
चंडीगढ़: भजनलाल के निधन के कारण हो रहा हिसार लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव तीनों प्रमुख उम्मीदवारों के लिए प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। कांग्रेस ने जय प्रकाश को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो यहां से चुनाव पहले भी लड़े हैं। वे चुनाव जीते भी हैं और हारे भी हैं। मुख्य विपक्षी दल इंडियन नेशनल लोकदल ने अजय चौटाला को अपना उम्मीदवार बनाया है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोर्इ भी चुनाव मैदान में हैं। वे हरियाणा जनहित पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके अध्यक्ष वे खुद हैं। इस चुनाव में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला लिया है। जाहिर है, वे हरियाणा जनहित कांग्रेस और भाजपा के संयुक्त उम्मीदवार हैं।