इस तापी परियोजना को भारत जल्द से जल्द पूरा होता देखना चाहता है। चारों तापी देशों की अगली बैठक में भारत गेल का नाम इस परियोजना के एक ठेकेदार के रूप में करेगा। गौरतलग है कि गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड भारत का एक महत्वपूर्ण सरकारी उपक्रम है।
भारत इस परियोजना को लेकर खासा उत्साहित है। अमेरिका भी इस परियोजना की सफलता चाहता है। र्इरान पाकिस्तान भारत के पाइपलाइन के बारे में भारत अभी तक कोर्इ निर्णय नहीं कर पाया है, तो इसका कारण यह है कि अमेरिका इस परियोजना का विरोध कर रहा है, पर तीपी परियोजना को लेकर अमेरिका भी उत्साहित है।
भारत सरकार ने अपनी ओर से गेल को इस परियोजना को शुरू करने वाली कंपनी में हिस्सा लेने के लिए अधिकृत किया है। अमेरिका और रूस की कंपनियां भी इसमें हिस्सेदारी करना चाहती है। किन कंपनियों की हिस्सेदारी हो, इसका निर्णय तापी परियोजना से जुड़े चारों देश ही मिलकर करेंगे। इसमें एशिया विकास बैंक की सलाह भी ली जाएगी, क्योंकि इस परियोजना के वित्तपोषण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होने जा रही है।
रूस इस परियोजना में दिलचस्पी ले, इसके लिए भारत शुरू से ही सचेष्ट था। अब तो अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान भी यही चाहता है। भारत रूस को इस परियोजना से इसलिए जोड़ना चाहता है, ताकि इस संगठन में अमेरिका के दबदबे पर अंकुश लगाया जा सके। उधर एशिया विकास बैंक चाहता है कि अमेरिकी कंपनियों की इस परियोजना में खास भूमिका हो।
गैस की खरीद बिक्री की सहमति के पत्र पर चारों देशों के दस्तखत होने के बाद तापी संगठन का गठन किया जाएगा और उसकी जिम्मेदारी पाइपलाइन का निर्माण और 30 साल तक इस पाइपलाइन के इस्तेमाल की होगी। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत इस तापी संगठन को गैस प्रापित के लिए इस पाइपलाइन के इस्तेमाल के एवज में तापी संगठन को भुगतान किया करेंगे।
भारत को गैस की बिक्री दर के बारे में तुर्कमेनिया से अभी सहमति होनी बाकी है। इसके लिए दोनों देशों के बीच कुछ बैठकें हो चुकी हैं और और भी बैठक होना बाकी है। गैस की खरीद और पाइपलाइन के इस्तेमाल के लिए भारत को भुगतान तो करना ही होगा, इसके अलावा उसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान को ट्रांजिट शुल्क भी देना होगा, क्योंकि गैस अफगानिस्तान और पाकिस्तान होते हुए ही भारत आएगी। अभी ट्रांजिट शुल्क भी तय किया जाना बाकी है।
भारत सीमा में प्रवेश के पहले तापी परियोजना के तहत 1680 किलामीटर की पाइपलाइन बिछार्इ जाएगी। तुर्कमेनिस्तान में 145 किलोमीटर, अफगानिस्तान में 735 किलोमीटर और पाकिस्तान में 800 किलोमीटर की यह पाइपलान होगी। प्रति साल करीब 30 अरब घन मीटर तुर्कमेन गैस इस पाइपलाइन से उपभोक्ता देशों में भेजे जाएंगे।
तुर्कमेनिस्तान मध्य एशिया का सबसे बड़ा गैस उत्पादक देश है। यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा गैस निर्यातक भी है। अंतरराष्ट्रीय तेल उ़धोग के सूत्रों के अनुसार अब यह रूस पर अपनी निर्भरता घटाना चाहता है। पिछले सालों आर्थिक संकट के कारण इसका रूस में किया जा रहा गैस निर्यात कम हो गया। यही कारण है कि अब यह अपनी गैस के खरीददारों का दायरा बढ़ाना चाहता है। (संवाद)
तापी संगठन में गेल चाहेगा हिस्सेदारी
रूस की कंपनी भी होड़ में शामिल
नित्य चक्रवर्ती - 2011-09-22 13:36
नर्इ दिल्ली: गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड (गेल) भी उस संगठन में हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में शामिल हो गर्इ है, जो तुर्कमेनिया(टी), अफगानिस्तान(ए), पाकिस्तान(पी) और इंडिया(आर्इ) यानी तापी देशों द्वारा गठित किया जा रहा है। इस संगठन की जिम्मेदारी इन चारों देशों से होकर गैस पाइप लाइन बिछाने की होगी। गैस की आपूतिर्त तुर्कमेनिस्तान करेगा और अफगानिस्तान, पाकिस्तान व भारत इसके उपभोक्ता देश होंगे।