आडवाणी अपने जीवन की छठी यात्रा अगले महीेने बिहार से प्रारंभ करेंगे। बाबा रामदेव भारत स्वाभिमान यात्रा पर हैं। अन्ना उन राज्यों की यात्रा करेंगे, जहां चुनाव होने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी आडवाणी की यात्रा के अलावा दो अन्य यात्राआें का आयोजन कर रही हैं। वे दोनो यात्राएं उत्तर प्रदेश तक सीमित है। कांग्रेस पिछले साल उत्तर प्रदेश में 10 यात्राएं कर चुकी हैं। राहुल गांधी कुछ समय पहले ही भटटा परसौल से अलीगढ़ तक की एक यात्रा कर चुके हैं। आने वाले दिनोें में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कुछ और यात्राएं कर सकती हैं।
महात्मा गांधी अनशन का इस्तेमाल अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे आंदोलन मे किया करते थे। उन्होंने 17 बार भूख हड़ताल की थी। वे इसे अपने सत्याग्रह के एक हिस्से के रूप में इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब तो भूख हडताल मीडिया में जगह पाने के लिए की जा रही है। आंध्र प्रदेश के नेता पी श्रीमालु ने 1950 के दशक में आजादी के बाद पहली बार अनशन किया था। वे आंध्र प्रदेश के गठन के लिए अनशन पर बैठै थे। उनका अनशन आमरण अनशन साबित हुआ और उसमें उनकी जान ही चली गर्इ, लेकिन बाद में उनकी इच्छा के अनुसार आंध्र प्रदेश का गठन हो गया।
अनशन का ताजा मौसम पिछले अप्रैल महीने में अन्ना हजारे के अनशन के साथ आरंंभ हुआ। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे थे और एक जनलोकपाल कानून चाहते थे। उस अनशन में उन्हें सफलता मिली और उनकी मांग के अनुसार लोकपाल कानून का मसौदा तैयार करने वाली समिति में उनके लोगों का जगह मिली। बाबा रामदेव ने काले धन के खिलाफ अनशन कर दिया, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। अन्ना ने अपने अनशन का एक और दौर अगस्त में आरंभ कर दिया, जिसका उददेश्य जनलोकपाल कानून को संंभव बनाना था। कानून तो अभी तक उनकी इच्छा के मुताबिक नहीं बना है, लेकिन उनके अनशन ने सरकार को बाघ्य कर दिया कि जनलोकपाल विधेयक को वह संसद द्वारा स्टैंडिंग कमिटी में भिजवा दे। उसके बाद भाजपा के नेता नरेन्द्र मोदी ने अनशन कर डाला। उनका अनशन किसी मांग के लिए नहीं था, बलिक सांप्रदायिक सदभाव के नाम पर था।
यहां गौर तलब है कि आडवाणी ने 1993 में एक जनादेश यात्रा की थी। अपनी सरकार की उपलबिधयों को बयां करने के लिए उन्हें एक भारत उदय यात्रा भी की थी। उस यात्रा की सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने समय से पहले ही 2004 में लोकसभा का चुनाव करवा दिया, जिसमे एनडीए पराजित हो गया। बहुत लोग मानते हैं कि आडवाणी की ताजा यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं है, बलिक प्रधानमंत्री पद की होड़ में बने रहने की एक राजनैतिक कवायद है।
मोदी के उपवास को लेकर भी तरह तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या वह उपवास वास्तव में सदभावना के लिए था या उसका उददेश्य नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय राजनीति में आना था? इसका उददेश्य चाहे जो रहा है, इसके कारण नरेन्द्र मोदी को राष्ट्रीय प्रोजेक्शन मिला। उसके कारण भाजपा की अंदरूनी राजनीति प्रभावित हो रही है और एनडीए पर भी उसका प्रभाव पड़ रहा है। प्रधानमंत्री के रूप में भाजपा के अंदर प्रबल दावेदार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जनता दल (यू) ये विरोध हो रहा है।
अब तो लगता है कि केन्द्र सरकार को यात्राओं और उपवास से निबटने के लिए र्केश कोर्स करना होगा। आने वाले दिनों में इसकी भरमार होगी। (संवाद)
यह यात्रा और उपवास का मौसम है
नेताओं को मीडिया मे जगह चाहिए
कल्याणी शंकर - 2011-09-23 12:26
एक के बाद एक आ रही भ्रष्टाचार की खबरों के बाद अब यात्राओं और उपवास का दौर आरंभ हो गया है। अनेक नेता यात्रा पर जा रहे हैं, तो कर्इ उपवास भी कर चुके हैं। भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, गांधीवादी अन्ना हजारे और बाबा रामदेव देश भर में यात्राओं का आयोजन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव समाजवादी क्रांति यात्रा कर रहे हैं। टीआरएस के नेता के चंद्रशेखर राव अलग तेलंगना के लिए फिर से भूख हड़ताल पर जाएंगे।