भारतीय वाहन उद्योग प्रत्येक वर्ष अनेक नए मॉडल और विभिन्न प्रकार की नयी शुरुआत कर रहा है। साथ ही 12 प्रतिशत वाहन उत्पादित सामग्री वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में निर्यात कर रहा है। बड़ा से बड़ा विश्लेषक भी इतनी बड़ी सफलता की भविष्यवाणी करने का साहस नहीं कर सका।

पिछले दस वर्ष में वाहन उद्योग के टर्न ओवर में छह गुना वृद्धि और वाहन निर्यात में बीस गुना वृद्धि दर्ज की गई है जिसका परिणाम है कि वाहन उद्योग आज देश में उत्पादन जीडीपी में 22 प्रतिशत तथा सम्पूर्ण उत्पाद शुल्क संग्रह का 21 प्रतिशत प्रदान करता है। वर्ष 2010 - 2011 में वाहन उद्योग ने 73 अरब अमेरिकी डालर का कुल व्यापार और 11 अरब अमेरिकी डालर का निर्यात की एक नई ऊंचाई हासिल की। साथ ही संचय के लिए घोषित निवेश 30 अरब अमेरिकी डालर तक पंहुच गया।

यह क्षेत्र उद्योग और सरकार की साझेदारी के साथ ही इस बात का शानदार उदाहरण पेश करता है कि कम समय में सरकार, उद्यमी तथा प्रबंधकीय कौशल की सहायता से बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते है। यद्दपि पिछले दिनों वाहन उद्योग की वृद्धि दर में कुछ कमी दिखाई दी है जो क्षणिक ही है और अब उद्योग 2016 की वाहन मिशन योजना (जिसका उदघाटन प्रधानमंत्री ने 2007 में किया था) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने प्रगति पथ पर लौट रही है।

परिवहन क्षेत्र अपने विकास के साथ जीवाश्म ईंधन के बढ़ते दाम, उनके तीव्र क्षय और वाहनों का पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाला प्रभाव जैसी चुनौतियाँ भी साथ लाता है। ये मुद्दे न केवल विभिन्न देशों की सरकारों बल्कि इस उद्योग के विशेषज्ञ और नेताओं के लिए भी सामान रूप से गंभीर चिंता का कारण है।

परिवहन क्षेत्र में परिणामकारी परिवर्तन के लिए फर्म स्तर से लेकर उद्योग स्तर तक सरकार के यथोचित सहयोग से सामूहिक स्तर पर प्रयास करना होगा। प्रत्येक संसथान को लगातार नए और बेहतर उत्पादन देने के लिए संघर्षरत रहना होगा। हालाँकि जब परीस्थिति अनुकूल हो तो निष्क्रियता और बदलाव का विरोध करने वाले लोग खतरे से खाली नहीं होते। किसी संस्थान की प्रगति के लिए उसके लोगों से ज्यादा कोई अन्य खतरनाक नहीं होता है, विशेष कर ऐसे लोगों से, जो विश्वास करते हैं कि जिस प्रकार आपने कल काम किया था वही आने वाले कल के लिए काम करने की सही युक्ति है।

भातीय वाहन उद्योग को शोध एवं विकास पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करने तथा टिकाऊ परिवहन व्यवस्था के लिए नवीनतम और बेहतर तकनीक को अपनाते हुए ज्यादा निवेश कि जरुरत होगी। इसके अंतर्गत ईंधन की वैकल्पिक व्यवस्था खासकर वैद्युत गतिशीलता, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को कम करना शामिल है। उद्योग को इन चुनौतियों से सामना करने में सहायता के लिए सरकार अपनी महत्वपूर्ण सुविधाजनक और समर्थक भूमिका निभायेगी।

इस सम्बन्ध में भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए जरुरी सक्षम तन्त्र बनाया जा रहा है। वाहन क्षेत्र के लिए दो महत्वपूर्ण कदम सरकार की तरफ से उठाए जा रहे है। वैद्युत गतिशीलता और हाइब्रिड की पूर्ण रेंज के वाहनों सहित विद्युत् वाहन के निर्माण के लिए सरकार ने "नेशनल मिशन ऑफ़ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी" की अनुमति दी है। आगे महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए साझेदार मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्रियों और उद्योग, शैक्षणिक और शोध संस्थानों के नेताओं के साथ नेशनल कौंशिल फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (एनसीईएम) पहले ही गठित की जा चुकी है।

इसके साथ ही नेशनल बोर्ड फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (एनबीईएम) जो नेशनल कौंशिल की सहायता करेगी, साझेदार मंत्रालयों, उद्योगों, और शैक्षणिक समुदाय के सचिवों की नियुक्ति बतौर सदस्य की जा चुकी हैं। यह संरचना सभी साझेदारों को एक सामूहिक मंच पर लाएगी जहाँ से सभी को सामूहिक स्तर पर सहयोग करने, सामूहिक प्राथमिकता, दृष्टि, लक्ष्य तय करने में आसानी होगी साथ ही भविष्य में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए सामूहिक सहमति बनाने में भी सहायक होगी।

बोर्ड पहले ही एक बार बैठक कर चुका है और वर्ष 2020 के लिए नेशनल मिशन टार्गेट बनाने के लिए अपनी संस्तुति देने के लिए और विभिन्न हस्तक्षेप, निवेश नीतियों, कार्यक्रमों, छूट, प्रोत्साहन और परियोजनाओं जो इसके लिए आवश्यक हो, को तय करने के लिए शीघ्र ही बैठक करने वाली है।

वैश्विक स्तर यह देखा जाता है कि सरकारों को नवीन तकनीक को बनाने और अपनाने के लिए शोध एवं विकास के लिए अहम उत्प्रेरक की भूमिका निभानी पड़ती है। शोध एवं विकास के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर हुए प्रयास इसका स्पष्ट उदहारण है। इसलिए आज सरकार के सामने सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक यह है कि उद्योग जगत, शोध संस्थानों तथा शिक्षण समुदायों को एक साथ लाकर सहयोगपूर्ण शोध एवं विकास कार्य का अवसर मुहैया कराए। योजना आयोग के सतत और दृढ सहायता से भारत सरकार "स्टेट ऑफ़ द आर्ट" वाहन शोध एवं विकास की सुविधा सर्वोत्तम "एनएटीआरआईपी" परियोजना के तहत उपलब्ध कराने में पूर्णतः सक्षम है।

इन सुविधाओं को स्थापित करने में हुए निवेश से फायदा उठाने तथा फायदा को बढ़ाने के लिए बहुत आवश्यक है कि विधिवत संरचना बनाई जाए। यह न केवल एनएटीआरआईपी द्वारा बनाई और संयोजित विभिन्न वाहन जांच केंद्र की सहक्रियाशील कार्य पद्धति की निगरानी और समन्वित करने के लिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि यह सब सुविधाएं उद्योग की विकास की जरूरतों के लिए उपलब्ध हैं। इस उदेश्य के लिए सरकार नॅशनल ऑटोमोटिव बोर्ड बनाने वाली है। एनएबी सहयोगपूर्ण वाहन शोध एवं विकास कार्यों को शुरू करने के लिए शैक्षणिक समुदायों, उद्योग जगत, सरकारी वाहन जाँच केंद्र तथा भारत तथा विदेश में विभिन्न परियोजनाओं के लिए अन्य शोध एवं विकास की सुविधा के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगा।

एनएबी तकनीक एवं कार्यक्षेत्र विशेषज्ञ एवं सभी महत्वपूर्ण साझेदारों के अभिवेदन से लैस एक सक्षम एजेंसी होगी। जानकारी, आंकड़े एवं वाहन क्षेत्र के ज्ञानक्षेत्र का भंडार होगी तथा यह विभिन्न सरकारी विभागों की रणनीतियों, भविष्य की नीतियों को बनाने तथा वाहन उद्योग को नियंत्रित करने में सहायता और सलाह देगी। यह एजेसी भारतीय वाहन क्षेत्र में सुधार करने में अहम भूमिका निभाएगी।