इस बार फिर समस्या शुरू की है एक टीवी चैनल ने। उसने मुख्यमंत्री चांडी द्वारा सुप्रीम कोर्ट की मोनिटरिंग कमिटी के चेयरमैन जी त्यागराजन को लिखी दो चिट्ठियों को प्रसारित कर दिया है। ये दोनों चिट्ठियां अप्रैल 2005 और जनवरी 2006 में लिखी गई थीं। इनसे यह पता चलता है कि ओमान चांडी उस टिटैनियम प्रोजेक्ट में बहुत तेजी से काम कर रहे थे, जबकि केरल स्टेट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड उस प्रोजेक्ट को क्लियरेंस नहीं दे रहा था। गौरतलब है कि वह त्रावणकोर टिटैनियम प्रोडक्ट्स लिमिटेड की परियोजना थी।
पहली चिटठी उसे समय भेजी गई थी जब बोर्ड उस कंपनी को अपनी परियोजना बंद करने का आदेश दे चुका था, क्योंकि बोर्ड की नजर में उसके नाॅम्र्स का पालन नहीं हो रहा था। एक सप्ताह के अंदर बोर्ड ने कंपनी को परियोजना बंद करने के लिए कहा था। उस नोटिस की अवधि 26 अप्रैल, 2005 को समाप्त हो रही थी।
अपनी उस चिट्ठी में श्री चांडी ने सुप्रीम कोर्ट की मोनिटरिंग कमिटी से अनुरोध किया था कि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने के लिए कंपनी को कुछ और समय दिया जाए। चाडी ने कहा था कि यदि परियोजना को बंद कर दिया जाता है, तो इससे कंपनी का भविष्य प्रभावित होगा और 1250 लोग बेरोजगार भी हो जाएंगे।
विपक्ष कह रहा है कि श्री चांडी को उस समय कंपनी की वकालत करने की कोई जरूरत नहीं थी, क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उसे क्लियरेंस देने से साफ मना कर दिया था। उनके द्वारा ली गई उस अनुचित दिलचस्पी के कारण राज्य सरकार के खजाने को 80 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।
इसमें दिलचस्प बात यह है कि उस समय वह बोर्ड जिस मंत्रालय के अधीन था, उसका नेतृत्व के के रामचंद्रन कर रहे थे और उन्होंने मुख्यमंत्री के दबाव के बावजूद बोर्ड पर दबाव डालकर उस प्रोजेक्ट के लिए क्लियरेंस हासिल करने से साफ मना कर दिया था। उसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री के गुस्से का निशाना बनना पड़ा और उन्हें उस मंत्रालय से ही हटा दिया गया। उनके हटाने के बाद उनकी जगह सुजनापाल को लाया गया और उनकी नियुक्ति के एक दिन के बाद ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने वह क्लियरेंस जारी कर दिया। जाहिर है रामचंद्रन को आदेश नहीं मानने के कारण श्री चांडी और प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला के गुस्से का शिकार होना पड़ा था।
अब जब सारा मामला एक बार फिर खुला है तो विपक्षी एलडीएफ ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है और मुख्यमंत्री चांडी को अपने पद से इस्तीफा देने को कहा है। अब मुख्यमंत्री चांडी और उनकी सरकार के सामने जबर्दस्त दबाव बन गया है और उनसे कुछ करते अथवा कहते नहीं बन रहा है।
इस बीच संकेत मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री प्रतिआक्रमण की रण्रनीति बना रहे हैं, जिसके तहत विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन पर हल्ला बोला जाएगा। (संवाद)
केरल की यूडीएफ सरकार एक और संकट में
पामोलिन घोटाला के बाद अब टिटैनियम घोटाला
पी श्रीकुमारन - 2011-10-29 11:21
तिरुअनंतपुरमः ओमन चांडी के नेतृत्व में बनी केरल की यूडीएफ ( यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) की सरकार को राहत की सांस लेने का समय तक नहीं मिल पा रहा है। मुख्यमंत्री चांडी पामोलिन घोटालें से निबटने की कोशिश कर ही रहे थे कि उनके सामने टिटैनियम घोटाला एक नई समस्या बनकर आ गया है।