यदि सीमा सुरक्षा बल की बात मानें तो उल्फा के दोनों नेता भारतीय सीमा के 200 मीटर अंदर घूमते हुए पाए गए थे। वहीे से दोनों को गिरफ्तार किया गया था। सीमा सुरक्षा बल के अनूसार दोनों में से किसी के भी पास किसी प्रकार के हथियार नहीं थे। यह 4 दिसंबर के 1 बजे रात की घटना है। पर सीमा सुरक्षा बल की इस बात पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा।

माना यह जा रहा है कि दोनों उल्फा नेताओं को बांग्लादेश प्रशासन ने गिरफ्तार किया था। बांग्लादेश में उन्हें गिरफ्तार करके भारतीय सुरक्षा बलों के हवाले कर दिया गया। चूंकि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संघि नहीं है, इसलिए औपचारिक रूप से उन उल्फा नेताओ की गिरफ्तारी की घोषणा करके भारत कक हवाले नहीं किया गया। प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद अपनी भारत की आगामी यात्रा के दौरान भारत के साथ प्रत्यर्पण संघि करने वाली है। उसके बाद बांग्लादेश में गिरफ्तार भारत के उग्रवादियों का भारत औपचारिक रूप से सौंपना असासन हो जाएगा।

सीमा सुरक्षा बल ने दोनों नेताओं को असम पुलिस के हवाले कर दिया। दोनों को पुलिस मुख्यालय लाया गया। दिल्ली से गृहमंत्रालय के 4 अधिकारी उनसे बातचीत करने के लिए असम आ धमके। तब तक दोनों को औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया था। पहले से गिरफ्तार उल्फा के दो अन्य नेताओं साशा चैधरी और चित्रबन हजारिका को भी जेल से वहां लाया गया।

राजखोवा और उनके साथियों को बताया गया कि यदि उन्होंने संप्रभुता की मांग को वापस ले लिया तो अन्य मसलों पर बातचीत के लिए उन्हे दिल्ली ले जाया जा सकता है। पर उन्होंने संप्रभुता की अपनी मांग को त्यागने सक इनकार कर दिया। उसके बाद उन्हे औपचारिक रूप से गिरफ्तार करके अदालत में पेश किया गया। और अदालत ने उन्हे जेल भेज दिया।

उल्फा के स्वघोषित कमांडर इन चीफ परेश बरुआ ने एक बयान जारी कर राजखोवा द्वारा संप्रभुता की मांग पर अड़े रहने के रवैये की प्रशंसा कर दी। माना जाता है कि परेश बरुआ म्यान्मार में कहीे छिपा हुआ है। परेश बरुआ और राजखोवा के रिश्ते कुछ समय से तनावपूर्ण चल रहे थे और परेश ने राजखोवा को कुछ समय के लिए अपनी निगरानी में भी रख लिया था। राजखोवा को उल्फा के लोग नरमपंथी और परेश को गरमपंथी मानते हैं।

राजखोवा द्वारा संप्रभुता के सवाल से समझौता करने से इनकारकर देने के बाद फिलहाल किसी प्रकार की बातचीत की संभावना पर विराम लग गया है। (संवाद)