ओबामा की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। उनका यह ग्राफ उनके प्रचार प्रबंधकों के लिए चिंता का कारण होना चाहिए। यदि श्री ओबामा चुनाव जीत जाते हैं तों वे जेराल्ड फोर्ड के बाद पहले ऐसे राष्ट्रपति होंगे, जो लोकप्रियता का ग्रेड 47 फीसदी से नीचे होने के बाद भी चुनाव जीतेंगे। जिम्मी कार्टर को यदि छोड़ दिया जाए, तो पिछले 30 साल में सबसे नीची लोकप्रियता रेटिंग वाले राष्ट्रपति बने हुए हैं बराक ओबामा। यदि ओबामा के चुनाव प्रबंधको को खराब आर्थिक हालात के बावजूद जीत की उम्मीद है, तो उसका आधार यही है कि पिछले 8 राष्ट्रपतियों में मात्र दो ही अबतक दुबारा जीत कर राष्ट्रपति नहीं बने हैं। वे दोनों हैं जाॅर्ज बुश और जिमी कार्टर।
2008 के चुनाव प्रचार के दौरान ओबामा के पक्ष में बदलाव का नारा काम कर रहा था, लेकिन इस बार माहौल कुछ और है। खुद राष्ट्रपति ओबामा मान रहे हैं कि इस बार वे कठिनाई से जीतेंगे। देश में बेरोजगारी बढ़ती जा रहा है और वित्तीय संकट भी गहराता जा रहा है। इस माहौल में कोई भी यह अनुमान लगा सकता है कि मतदाता आर्थिक हालातों को घ्यान में रखकर ही मतदान करेंगे।
ओबामा को चुनाव के लिए जो धन मिल रहा है, उससे भी यही पता चलता है कि इस बार उनके समर्थक पिछली बार की तरह उत्साहित नहीं हैं। पिछले चुनाव के समय उन्हें उनकी पार्टी के समर्थकों ने जी खोलकर चुनावी चंदा दिया था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि ओबामा का चुनाव प्रचार अभियान पैसे की कमी का शिकार बनेगा। सच तो यह है कि उन्होंने अब तक अपने चुनाव अभियान के लिए 7 करोड़ डालर का इंतजाम कर भी लिया है। उम्मीद की जा रही है कि चुनाव अभियान में करीब 10 करोड़ डाॅलर खर्च होंगे।
एक सर्वेक्षण में पाया गया कि ओबामा की लोकप्रियता की रेटिंग 41 फीसदी ही है। यह उनकी पार्टी के लिए चिंता का कारण होना चाहिए, क्यांेकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इतनी कम रेटिंग वाला कोई भी राष्ट्रपति दुबारा चुनाव नहीं जीत सका है। एक अन्य सर्वे में 74 फीसदी लोगों का मानना है कि देश सही दिशा में नहीं जा रहा है। जाहिर है अगले 12 महीने ओबामा और उनकी पार्टी के लिए भारी मुसीबतों से भरे होगे और उनके सामने लोकप्रियता बढ़ाने की जबर्दस्त चुनौती खड़ी है। उन्हें अपने समर्थकों को अपने साथ बनाए रखना है और विरोधियों को अपना समर्थक बनाना है।
इस बार का चुनाव उनके लिए अलग तरह का है। पिछली बार तो उन्हें पहले अपनी पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए चुनाव लड़ना पड़ा था। उस समय वे दुनिया के लिए अनजान थे। उनके सामन प्रत्याशी थीं हिलेरी क्लिंटन। उन्होंने पहले सुश्री क्लिंटन को पराजित किया था। इस बार उन्हें इस तरह का चुनाव नहीं लडत्रना पड़ेगा। उन्हें अब सीधे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना है। जाहिर है राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ते समय वे तराोताजा होंगे, क्योंकि पार्टी के अंदरूनी चुनाव की थकान इस बार उनको नहीं होगी।
उनकी जीत इस बात पर निर्भर करेगी कि आगामी 12 महीनों में देश की अर्थव्यवस्था कौन सी दिशा पकड़ती है। कांग्रेस बजट कार्यालय के अनुसार अगले साल तक बेरोजगारी दर साढ़े 8 फीसदी होगी। यह दर भी बहुत ज्यादा है और मानना पड़ेगा कि देश की एक बड़ी आबादी आर्थिक रूप से असंतुष्ट होगी और देश का एक बड़ा तबका आर्थिक मंदी का शिकार होगा।
ओबामा के चुनाव अभियान प्रबंधकों को भरोसा है कि यदि मतदान के समय लोगों को इस बात का भी भरोसा रहे कि आने वाले दिनों मंे सबकुछ ठीक हो जाएगा, तब भी वे ओबामा को अपना मत देगे। ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है। वे उदाहरण के तौर पर निक्सन, रीगन, आइजनहावर और ट्रुमैन का नाम लेते हैं, जो लगभग इन्हीं परिस्थितियों मंे फिर से चुनाव जीतकर दुबारा राष्ट्रपति बने थे।
विरोधी रिपब्लिकन उम्मीदवार कौन होता है, यह भी ओबामा के लिए खास मायने रखेगा। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि ओबामा के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी का कौन व्यक्ति उम्मीदवार होगा। फिलहाल 7 उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी के लिए जोर लगा रहे हैं और वे एक दूसरे को घ्वस्त किए जा रहे हैं। यही कारण है कि उनमें से कोई भी अभी तक मजबूती के साथ उभर नहीं पा रहा है। ओबामा के चुनाव प्रबंधकों का कहना है कि उनके उम्मीदवार के पक्ष में सबसे बड़ा फैक्टर यही है। (संवाद)
ओबामा के लिए मुश्किलों भरा दिन
अर्थसंकट मुख्य चुनौती है
कल्याणी शंकर - 2011-11-11 12:56
वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए 2012 में चुनाव होना है। सवाल पूछा जा रहा है कि क्या राष्ट्रपति बराक ओबामा एक बार फिर चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन पाएंगे? इतिहास तो यही कहता है कि आर्थिक मंदी से निजात न दिलाने वाला राष्ट्रपति हमेशा चुनाव हारता रहा है। पर क्या ओबामा उस इतिहास को झुठलाते हुए एक नया इतिहास बना पाएंगे?