जब से कांग्रेस नेतृत्व ने अन्ना हजारे आंदोलन और भ्रष्टाचार के मसले पर लापरवाही बरती है, उस समय से ही कांग्रेस की हवा खराब हो गई है। लोगों के बीच में कांग्रेस की छवि को भारी घक्का लगा है।

एक के बाद एक सामने आ रहे भ्रष्टाचार के मामलों, बार बार पेट्रोल कीमतों में हुई वृद्धि और कमर तोड़ महंगाई ने कांग्रेस को उतना नुकसान पहुंचाया है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

यह सच है कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने समाज के विभिन्न तबकों में अपनी पैठ बढ़ाकर कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में एक मजबूत ताकत बनाने में अहम भूमिका निभाई है और आज यह चुनाव में संघर्ष करने की स्थिति में आ गई है।

बुंदेलखंड में कांग्रेस का प्रभाव स्थापित करने में राहुल गांधी सफल रहे हैं। वहां उन्होंने अनेक बार यात्राएं की और उस इलाके को केन्द्र सरकार की तरफ से आर्थिक पैकेज भी दिलवाया। उसी तरह राहलु गांधी ने पूर्वाचल और मध्य उत्तर प्रदेश के इलाके का भी सघन दौरा किया और उन इलाकों के लिए भी अनेक योजनाओं की घोषणा कर डाली है।

मायावती के परंपरागत दलित जनाधार में भी राहुल गांधी ने संेधमारी करने में सफलता पाई है। उन्होंने इसके लिए पिछले दो तीन सालों से दलितों की बस्तियों में यात्रा करने और वहां रात गुजारने का कार्यक्रम चला रखा है।

राहुल गांधी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसानों के बीच अपनी साख बढ़ाने में सफलता पाई है। उन्होंने अपने आपको किसान आंदालन से जोड़ा। उनके लिए पदयात्रा की। उन्होंने भट्टा पारसौल से अलीगढ़ तक की पदयात्रा की। पिछले 3 दशकों से कांग्रेस ने इस इलाके में इस तरह का कोई आंदोलन नहीं चलाया था और कोई वरिष्ठ नेता ने लोगों से मिलने की जरूरत नहीं समझी थी।

लेकिन राहुल गांधी के सारे प्रयासों पर पानी फिर रहा है, क्योंकि केन्द्र सरकार अन्ना के आंदोलन पर एक के बाद एक गलतियां कर रही हैं और भ्रष्टाचार के मामले पर न तो केंन्द्र सरकार और न ही कांग्रेस लोगों की आकांक्षाओं पर खरी उतर रही हैं।

यही कारण है कि अब राज्य के कांग्रेस नेता और कार्यकत्र्ता मांग कर रहे हैं कि प्रियंका गांधी को चुनाव प्रचार में उतारा जाय, ताकि कांग्रे्रस बेहतर चुनावी नतीजा प्राप्त कर सके और राहुल गांधी के मिशन 2012 को सफलता मिल सके।

कांग्रेस और विरोधी पार्टियों के नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी के पास वह करिश्मा है, जो उनकी दादी इन्दिरा गांधी का हुआ करता था और वे चुनावों का संतुलन कांग्रेस के पक्ष में झुकाने में सक्षम हैं। राजनैतिक विश्लेषक याद दिलाते हैं कि उनके एक भाषण ने रायबरेली में सतीश शर्मा के पक्ष में माहौल बना दिया था। उसके पहले श्री शर्मा मुख्य मुकाबले में भी नहीं थे। प्रियंका के भाषण के बाद वे मुख्य मुकाबले में तो आ ही गए, उसके बाद तो उन्होंने चुनाव भी जीत ली। उस चुनाव मकें अरूण नेहरू तीसरे स्थान पर आ गए थे और उसके बाद श्री नेहरू का राजनैतिक जीवन ही समाप्त हो गया।

प्रियंका गांधी ने एक बार फिर अपना करिश्मा उस समय दिखाया, जब उन्होंने मायावती को ही चुनौती दे डाली थी। उस समय अधिकारियों ने सुल्तानपुर में दलितों के घरों को ढहा दिया था। प्रियंका गांधी ने कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं के श्रमदान के द्वारा उनके घरों को फिर से बनाने की घोषणा कर डाली। उसके बाद मायावती को बाघ्य होकर उस इलाके में आना पड़ा और उन्होंने उस इलाके के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू कर दिए।

यही कारण है कि राजनैतिक विश्लेषक यह मानते हैं कि यदि प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के लिए प्रचार किया, तो पार्टी में फिर से जान आ जाएगी। (संवाद)