केरल उच्च न्यायालय ने श्री जयराजन को 6 महीने जेल की सजा सुनाई थी। उन पर अदालत की अवमानना का मामला चला था और उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषी करार दिया था। केरल उच्च न्यायालय ने अपने एक फेसले में सड़कों पर होने वाले प्रदर्शनों और सभाओं पर रोक लगा दी थी। उस रोक के खिलाफ जयराजन ने जजों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी। उन टिप्पणियों के कारण ही उन पर अदालत की अवमानना का मामला चला था।
श्री जयराजन ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और जमानत की भी गुहार लगाई थी। उन्हें जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के उस आदेश की निंदा की जिसके तहत सजा सुनाकर उन्हें सीधे जेल भेज दिया गया और गिरफ्तारी के पहले सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का समय तक नहीं दिया। सुपी्रम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का वह निर्णय जयराजन के अपील करने के अधिकार का उल्लंघन था और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश में कीड़े और मकोड़े जैसे शब्दों के इस्तेमाल को भी गलत बताया। अदालत की भूमिका अपना आदेश सुनाने के बाद समाप्त हो जाती है, इस मामले में केरल हाई कोर्ट ने अपनी सीमा का उल्लंघन करते हुए सुप्रीम कोर्ट मंे जयराजन की अपील पर सुनवाई के दौरान अपने वकील भेज डाले। यह देश की न्यायपालिका के इतिहास की पहली घटना है। हाई कोर्ट के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की भी कोशिश की और सीपीएम के शांतिपपूर्ण प्रदर्शन की की गलत तस्वीर पेश की।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने सीपीएम नेताओं के उस आरोप को सही साबित किया है, जो उन्होंने कुछ हाई कोर्ट जजों पर लगाए थे। उन्होंने उन पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने अपने पूर्वाग्रहों के वश में आकर वह आदेश जारी किया था। इससे पार्टी को एक नया हौसला मिला है।
सीपीएम सड़क के किनारे सभाएं और प्रदर्शन करने के अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रही थी। उसके इस संघर्ष को सुपी्रम कोर्ट के ताजा फैसले से नया बल मिला है। जेल से रिहा होने के बाद जयराजन ने कहा कि अपने अधिकार की बहाली के लिए वे आगे भी संघर्ष करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे पिछले कई सालों से श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं और जीतते रहे हैं। सीपीएम के नेताओं ने कहा कि लाकतंत्र में अंतिम अदातल नागरिकों की ही होती है और अपने विरोध प्रदर्शन पर पाबंदी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष करने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
अब सीपीएम ने ने राज्य सरकार से मांग की है कि सड़क किनारे सभाओं को संभव बनाने की लिए वह अध्यादेश लाए। इस तरह की मांग करके उसने कांग्रेस को भी रक्षात्मक होने को मजबूर कर दिया है।
जयराजन ने मुख्यमंत्री चांडी को याद दिलाया कि ब्रिटिश काल में जब अंग्रेजी सरकार ने सड़कों के किनारे सभा करने पर रोक लगा दी थी, तो महात्मा गांधी ने इसका विरोध किया था और अन्य लोगों को भी कहा था कि उस आदेश का विरोध करें। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि यदि चांडी अपने आपको महात्मा गांधी का अनुयायी मानते हैं तो तुरंत अध्यादेश लाकर हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त करें, जिसके तहत सड़क किनारें सभा करने पर रोक लगा दी गई है। (संवाद)
जयराजन केस मे सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सीपीएम को मिली है नई ऊर्जा
पी श्रीकुमारन - 2011-11-23 13:06
तिरुअनंतपुरमः केरल सीपीएम के नेता एम वी जयराजन को जमानत पर रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पार्टी के लिए एक अच्छी खबर है। इससे पार्टी को नया उत्साह मिला है। गौरतलब है कि श्री जयराजन को अदालत की अवमानना के एक मामले में 6 महीने की सजा मिली थी और वे जेल में बंद थे।