जमीन हड़पने के अनेक तरीके हैं। एक तरीका यह है कि राज्य सरकार सार्वजनिक कार्यों के नाम पर किसानों की जमीन अधिगृहित कर लेती है। फिर उस जमीन को बिल्डर और कालानाइजरों को दे दिया जाता है, जिससे वे अरबों खरबों रुपये का न्यारा वारा कर देते हैं। हरियाणा में ऐसा खूब हुआ है। यह बहुत सालों से हो रहा है। अनेक बार पंजाब और हरियाणा के हार्इ कोर्ट ने हरियाणा सरकार की इसके लिए खिंचार्इ की है। कर्इ बार राज्य सरकार द्वारा किए गए अधिग्रहण को कोर्ट ने रदद भी कर दिया है। लेकिन हार्इकोर्ट के फैसले उसी तरह का भ्रष्ट आचरण फिर से करने के लिए राज्य सरकार को नहीं रोक पाते। इतिहास को दुहराया जाता है। सार्वजनिक काम के नाम पर बाजार से भी कम कीमत पर जमीन का अधिग्रहण होता है और उसे निजी बिल्डरों को बेच दिया जाता है।
जमीन से माल कमाने के और भी अन्य तरीके हैं। एक तरीका यह है कि राजनैतिक रूप से प्रभावशाली कोर्इ व्यकित दूर दराज इलाके में सस्ती दर पर जमीन खरीद लेता है और फिर उस जमीन की अदला बदली बढि़या लोकेशन वाली ग्रामसभा की किसी जमीन से कर दी जाती है। घटिया जमीन से बढि़या जमीन का विनिमय हो जाता है और उस जमीन का लैंड यूज भी बदल दिया जाता है और उसके बाद तो फिर जिसने दूर दराज इलाके में बहुत कम पैसा लगाकर जमीन खरीदी थी, वह मालामाल हो जाता है।
इसके अलावा ऐसे राजनीतिज्ञ भी हैं, जो अपने रुतबे का इस्तेमाल कर सार्वजनिक हित के नाम पर तथाकथित बेकार और बंजर पड़ी जमीन को अपने नाम आबंटित कर लेते हैं और मालामाल हो जाते हैं। व किसानों के हितों का हवाला देते हुए जमीन हड़पते हैं और फिर अपना व्यापार साम्राज्य खड़ा करने लगते हैं।
यह देश के लगभग सभी राज्यों में हो रहा है। हरियाणा में तो राबर्ट भद्र का ताजा मामला हमारे सामने ही है। महाराष्ट्र मे नितिन गडकरी ने कैसे किसानों के हित के नाम पर खेती की जमीन अपने आपको आबंटित कर ली, इसकी बानगी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चला रहे अरविंद केजरीवाल कुछ दिन पहले ही बता चुके हैं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री यदुरप्पा ने भी अपने रिश्तेदारों को जमीन आबंटित कर दी थी, जिसकी जांच सीबीआर्इ ने की है और जिसका मामला अभी भी अदालत के अधीन है।
हरियाणा का गुड़गांव इस मामले में सबसे ज्यादा ख्याति प्राप्त कर चुका है। वह राष्ट्रीय राजधानी के बहुत पास में है और वहां विदेशी कंपनियां भी बहुत दिलचस्पी ले रही हैं। इसलिए जमीन घोटाले के सबसे ज्यादा मामले वहीं सामने आ रहे हैं। हरियाणा का एक पूर्व मंत्री गोपाल कांडा ने भी अपनी दौलत जमीन के व्यापार से ही हासिल की थी। ओमप्रकाश चौटाला और भूपींदर सिंह हुडडा की सरकारों के कार्यकाल में उसने जमीन के एक से एक बड़े सौदे कराए और अरबों का मालिक बन गया। उसने अपना एक विमानन कंपनी भी बना लिया था। फिलहाल गीतिका की आत्महत्या के मामले में वह जेल में बंद है, लेकिन उसकी समृदिध के पीछे जमीन के बड़े बड़े घोटालों का ही हाथ रहा है, जिसके लिए हरियाणा ने देश में अपना एक विशिष्ट स्थान बना लिया है।
अभी दो ताजा मामले आए हैं, जिसमें हार्इ कोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ टिप्पणियां की हैं। एक मामला सिरसा का है, जहां राज्य सरकार जमीन का अधिग्रहण कर रही थी। वहां उसने किसानों की जमीन का तो अधिग्रहण किया, पर वहीं एक बड़े बिल्डर की जमीन के बड़े टुकड़े का अधिग्रहण नहीं किया। हार्इ कोर्ट ने वहां की जमीन अधिग्रहण की प्रकि्रया को ही रदद कर दिया।
एक दूसरा मामला पानीपत का है। वहां एक भूमाफिया ने असरदार लोगों के संरक्षण में किसानों के सैंकड़ो एकड़ जमीन को हड़प लिया। हार्इ कोर्ट ने उस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
व्यापारी बने राजनेता और राजनेता बने व्यापारियों ने जमीन हड़पु माहौल को बढ़ावा दिया है। कोर्इ राजनेता व्यापार करे, इससे किसी को एतराज नहीं हो सकता है, लेकिन यदि अपने रसूख का इस्तेमाल कर वह गलत तरीके से अपना व्यापार बढ़ाता है, तो वह निश्चय ही गलत है। (संवाद)
अवैध सम्पत्ति का एक बड़ा स्रोत बन गया है जमीन घोटाला
सार्वजनिक हित के नाम पर राजनेता अपना घर भर रहे हैं
बी के चम - 2012-10-25 05:29
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट भद्र और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के ऊपर जमीन हड़पने से संबंधित आरोप लग रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रहे अरविंद केजरीवाल ने इन दोनों पर ये आरोप लगाए हैं। ये दोनों कोर्इ इक्का दुक्का या छिटपुट मामले नहीं हैं, बलिक हमारे देश के अनेक राज्यों में जमीन राजनेताओं और उनके रिश्तेदारों द्वारा संपतित बनाने का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। ऐसा करने के लिए सत्ता का इस्तेमाल किया जाता है अथवा राजनीति में अपने ऊंचे रुतबे का इस्तेमाल किया जाता है।