खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली ऐसी राजनेता है, जिन्हें विपक्ष में रहते हुए भारत ने अपने देश में आने को आमंत्रित किया। यह दूसरी बात है कि वे कभी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। अपनी भारत यात्रा के दौरान उन्होंने जो सबसे महत्वपूर्ण बात की है वह यह है कि बांग्लादेश अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं करने देगा। भारत के अधिकारियो ने भी कहा कि दोनों देशों को आगे की ओर देखना चाहिए और भविष्य में बेहतर संबंध बनाने की ओर बढ़ना चाहिए।

लेकिन बांग्लादेश के सत्तारूढ़ अवामी लीग के वरिष्ठ नेता बांग्लादेश की प्रधानमंत्री खालिद जिया के इस हृदय परिवर्तन को लेकर सशंकित हो गए हैं। वे पहले कभी भारत की कट्टर विरोधी हुआ करती थीं। अवामी लीग के एक नेता का कहना है कि खालेदा जिया का यह कहना कि वे भारत के साथ संबंधों में वे पीछे नहीं देखेंगी, उनका यह स्वीकार करना है कि उनके कार्यकाल के दौरान भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध अच्छे नहीं थे। लीग के नेता नसीम खान साफ साफ कहते हैं कि यदि सुश्री जिया की सरकार अस्तित्व में आई तो उन्हें अपना रवैया बदलने में तनिक भी समय नहीं लगेगा। उन्होंने कहा कि सुश्री जिया की पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी की राजनीति का केन्द्र ही भारत विरोध है। उनकी पार्टी ने हमेशा अवामी लीग को भारत का एजेंट बताया है।

दूसरी तरफ बीएनी क नेता अलग राग अलाप रहे हैं। पूर्व विदेश मंत्री मोरशेद खान का कहना है कि बीएनपी की भारत विरोध नीति गलत थी। ऐसा कहकर वह अपनी पार्टी की गलती स्वीकार कर रहे हैं और स्पष्ट कर रहे हैं कि उनकी पार्टी ने अपनी भारत नीति वाकई में बदल ली है। उन्होंने अपनी पार्टी की उस गलती के लिए सहयोगी दल जमाते इस्लामी और इस्लामी ओकिया जोट को जिम्मेदार मान रहे हैं, जो भारत विरोध रुख अपनाने के लिए उनकी पार्टी के ऊपर दबाव डाला करते थे।

श्री खान ने बताया कि 2006 के पहले अनेक मौकों पर उन्होंने तब की प्रधानमंत्री खालिदा जिया को समझाने की कोशिश की थी कि वे भारत विरोधी रवैया नहीं अपनाएं, लेकिन उन प्रयासों को सफलता नहीं मिल रही थी। उन्होंने कहा कि कुछ बीएनपी नेताओं को इसके कारण पार्टी में काम करने में दिक्कत भी हो रही थी।

ढाका स्थित पर्यवेक्षकों का मानना है कि भारत का एक क्षेत्रीय महाशक्ति के रूप में उभरने का असर बांग्लादेश के राजनैतिक क्षेत्रों में दिखाई पड़ रहा है। इसके बाद दोनों देशों के संबंध लगातार अच्छे हो रहे हैं। आर्थिक संबंध सुधर रहे हैं और दोनों के बीच होने वाला व्यापार बढ़ रहा है।

कोलकाता स्थित विश्लेषकों का कहना है कि इस्लामी कट्टरवादियों की अपील दुनिया भर में घटी है और बांग्लादेश भी इसका अपवाद नहीं है। बांग्लादेश की हसीना सरकार ने देश के अनेक कट्टरवादी मुसलमानों को गिरफ्तार किया है और उनके संगठनों को भी प्रतिबंधित किया है। बांग्लादेश में सक्रिय भारत विरोधी तत्वों को भी वहां से खदेड़ दिया गया है। उनके बैंक खातों को भी सीज कर लिया गया है। उल्फा जैसे संगठनों के अनेक नेता गिरफ्तार किए गए हैं और उनमें से कई भारत को सौंप दिए गए हैं।

अपने कार्यकाल में बीएनपी इस तरह के कदम नहीं उठा रहा है। इसके विपरीत वह भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा दिया करता था। बीएनपी के रुख में बदलाव का कारण भारत की बढ़ती ताकत तो है ही, उसके ऊपर अमेरिका और यूरोप के देशों का भी दबाव पड़ रहा था कि वह कट्टरपंथियों का साथ छोड़ दे। (संवाद)