इस मांग ने मणिपुर की एक अन्य जनजाति नगा के साथ कूकियों के टकराव की आशंका को बढ़ा दिया है। कूकी बहुत पहले से मांग कर रहे थे कि सेनापति जिले के सदर हित्स अनुमंडल को एक अलग जिला बना दिया जाय। नगा इस मांग का शुरू से ही विरोध कर रहे थे। यूनाइटेड लगा काउंसिल आॅफ मणिपुर ने इस मांग के खिलाफ कई बार धरना प्रदर्शन आयोजित किए हैं।
मणिपुर का आकार बहुत छोटा है। यह सिर्फ 22,327 वर्ग किलोमीटर तक ही सीमित है, लेकिन इसमें अनेक जनजातियां और उपजनजातियां हैं। यहां 33 अनुसूचित जनजातियां हैं। मेइती सबसे बड़ा समुदाय है, जो इम्फाल घाटी मंे रहता है। वे वैष्णव हिंदू हैं। मणिपुर की पहाडि़यों में उनके 3 कुल रहते हैं। पड़ोसी मिजोरम के मिजो जनजाति से उनका जुड़ाव है।
नगा कूकी राज्य के प्रबल विरोधी हैं। पिछले महीने चंदेल नगा पीपल्स आॅर्गेनाइजेशन ने प्रस्तावित कूकी प्रदेश में चंदेल जिले के अपने बाप दादाओं की जमीन को शामिल करने को लेकर अपना गुस्सा और क्षोभ व्यक्त किया। यह नक्शा पिछले दिनों कूकी स्टेट डिमांड कमिटी द्वारा जारी किया गया था। इसने पूरे चूड़ाचंदपुर और चंदेल जिलों, सेनापति जिले के सदर हिल्स अनुमंडल और तमेंगलौंग व उखरूल जिले के बड़े हिस्सों को प्रस्तावति कूकी प्रदेश में शामिल दिखाया था।
अपनी मांग के समर्थन में इस कमिटी ने 17 नवंबर से कूकी इलाकों के अनिश्चितकालीन सड़क जाम आंदोलन चलाने का निर्णय किया था। लेकिन प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और 5 दिनों के सड़क जाम आंदोलन के बाद आंदोलकारियों के साथ एक समझौता किया। उस समझौते के बाद कूकियों ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया। समझौते के पहले हुई बातचीत मंे राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री गायखंगम ने किया, जिसमें कम से कम 6 कूकी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बातचीत में सहमति हुई कि संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र के समाप्त होने के बाद इस मसले पर राजनैतिक संवाद होगा। कहा गया कि सत्र की समाप्ति के बाद बातचीत की रूपरेखा को तय करने के लिए केन्द्र सरकार के अधिकारी यहां आएंगे।
इस बीच दो कूकी संगठनों ने अपने तेवर कठोर कर लिए हैं। कूकी नेशनल आॅर्गोनाइजेशन ने कहा है कि वह नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आॅफ नगालिम द्वारा कूकी की आबादी वाले इलाके को नगा प्रशासित किसी प्रशासनिक ईकाई में शामिल कराने के सख्त खिलाफ है। उसने अपनी बात को मजबूती से रखने के लिए याद दिलाया कि नगाओं ने 1992 से 1997 के बीच कूकियों का नरसंहार किया था, जिनमें उनके द्वारा करीब 900 कूकी मार डाले गए थे।
कूकी की मांग का विरोध करते हुए यूनाइटेड नगा काउंसिल मांग कर रही है कि मणिपुर की नगा आबादी इलाकों को एक अलग प्रशासिनक ईकाई के तहत लाया जाय। उन्होंने किसी भी कीमत पर अपनी भूमि की रक्षा करने का प्रण भी किया है। पिछले दिनों मुवइया गुट वाले नेशनल काउंसिल आॅफ नगालैंड ने कूकियों के खिलाफ आग उगली और आरोप लगाया कि कूकी नगा लोगों को धमका रहे हैं और उनपर कूकी प्रदेश के समर्थन करने का दबाव डाल रहे हैं।
कूकियों का कहना है कि यह भूमि 33 ईस्वी से ही उनके पूर्वजों की है। उनका कहना है कि 33 ईस्वी में ही मेइती राजा चोथे थंगवई का राज्यारोहन हुआ था और उसी साल उनके पूर्वजों को उस भूमि का पट्टा मिला था। कूकी नेशनल आॅर्गेनाइजेशन का कहना है कि उनकी नगाओं से कोई दुश्मनी नहीं हैं और यदि वे उनके अधिकारों का सम्मान करें, तो वे भी उनका सम्मान करने को तैयार हैं। उनका कहना है कि नगाओं के साथ उनका संबंध तभी बेहतर हो सकता है, जब दोनों पक्षों के बीच एक दूसरे के लिए सम्मान का भाव हो। यदि इस तरह का भाव नहीं पैदा होता है, तो दोनों के बीच पारस्परिक संबंध भी नहीं बन पाएंगे।
मणिपुर सरकार प्रदेश के किसी भी प्रकार के विभाजन के खिलाफ है। वह न तो कूकियों के लिए प्रदेश का विभाजन करना चाहता है और न ही नगाओं के लिए। कूकी नगा राज्य का विरोध कर रहे हैं, तो नगा कूकी राज्य का विरोध कर रहे हैं। उनके बीच में यदि टकराव बढ़ता गया, तो भारी खून खराबा हो सकता है, क्योंकि मणि पुर के उग्रवादी तबकों के पास हथियारों की कमी नहीं है। केन्द्र सरकार को मेइतियों, कूकियों और नगाओं के बीच में पैदा हो रहे टकराव की स्थिति को थामना होगा। (संवाद)
और एक कूकी राज्य की मांग
क्या मणिपुर का विभाजन होगा?
बरुण दास गुप्ता - 2012-12-18 03:07
कोलकाताः पूर्वोत्तर की एक नई समस्या केन्द्र के ध्यान का इंतजार कर रही है। संसद के मानसून सत्र के बाद केन्द्र सरकार इस पर ध्यान देगी। यह समस्या है एक अलग कूकी राज्य की मांग की। तेलंगाना, विदर्भ, गोरखालैंड और बुंदेलखंड जैसे राज्यों की मांग के साथ एक और राज्य की मांग अब बढ़ गई है। मणिपुर को विभाजित कर इस राज्य के गठन की मांग की जा रही है।