लोगों को लग रहा था कि प्रभात झा को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल मिलेगा, लेकिन एकाएक पता चला कि अगला अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर होने वाले हैं। प्रदेश अध्यक्ष के रूप मंे उनकी नियुक्ति की बात को बहुत ही गुप्त रखा गया था। एक समारोह में प्रभात झा अपनी भावना पर नियंत्रण नहीं रख सके और उन्होंने कह डाला कि नरेन्द्र तोमर को अध्यक्ष बनाने के फैसले को उतना ही गुप्त रखा गया था, जितना पोखरण का परमाणु परीक्षण।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने तोमर की नियुक्ति के मसले को उजागर नहीं होने दिया था और प्रभात झा तक को वे यही संदेश देते रहे कि उनकी पसंद वे (श्री झा) ही हैं।
यह सबको पता है कि श्री झा आरएसएस के पसंदीदा नेता रहे हैं। उन्हें खासकर सुरेश सोनी का समर्थन मिलता रहा है। सच तो यह है कि श्री सोनी उन्हें अध्यक्ष बनाने के लिए भोपाल में तबतक डेरा डाले रहे, जबतक कि इसके बारे में अंतिम शब्द कह नहीं दिए गए। श्री सोनी ने ही श्री झा को प्रदेश का अध्यक्ष बनवाया था और वैसा करते समय पार्टी के अनेक बड़े नेताओं की इच्छा की उपेक्षा कर दी गई थी।
श्री झा बिहार से हैं। भोपाल मंे उनकी नियुक्ति पार्टी के जन संपर्क विभाग को संभालने के लिए हुई थी। उन्होंने जन संपर्क का अपना काम बखूबी संभाला और उसकी ख्याति दिल्ली तक पहुंच गई। फिर उन्हें दिल्ली मुख्यालय में बुला लिया गया। पर बाद में श्री तोमर के अध्यक्ष पद से हटने के बाद उन्हें ही मध्यप्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बना दिया गया। बिहार से होने के बावजूद उन्हें मध्यप्रदेश का अध्यक्ष बनाया गया और उन्होंने भी इस पद को बहुत अच्छी तरह संभाला। उन्होंने पूरे प्रदेश की लगातार यात्राएं कीं और पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करते रहे। यदि भाजपा मध्यप्रदेश मे हुए किसी उपचुनाव में नहंी हारी, तो इसका एक कारण प्रभात झा की कड़ी मेहनत भी थी। शिवराज सिंह चैहान से भी उनके रिश्ते अच्छे बने रहे और उनके रिश्तों को देखकर लोग श्री झा को मुख्यमंत्री का बाहुबली तक कहा करते थे।
लेकिन उन्हांेन अपने कार्यकाल के दौरान पार्टी के अनेक प्रदेश नेताओं को नाराज भी कर दिया था। जो लोग उनसे नाराज हुए उनमें पांच बार से इन्दौर की सांसद रही सुमित्रा महाजन भी शामिल हैं। कहते हैं कि सुमित्रा महाजन ने धमकी दी थी कि यदि श्री झा को दुबारा प्रदेश अध्यक्ष बनाने की कोशिश हुई, तो वे अध्यक्ष पद का चुनाव उनके खिलाफ लड़ेंगी। कहा जा रहा है कि प्रदेश के दो मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और सुन्दर लाल पटवा भी श्री झा को दूसरा कार्यकाल दिए जाने के खिलाफ थे।
भाजपा के अंदर के कुछ लोगों का कहना है कि श्री झा की महत्वाकांक्षा बढ़ती जा रही थी। वे अपने आपको मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के विकल्प में रूप में भी तैयार करने लगे थे। 2013 में विधानसभा के आमचुनाव होने हैं। वे टिकट के उम्मीदवारों को टिकट देने का वादा तक करने लग गए थे। लगता है कि इसके कारण ही शिवराज सिंह चैहान के कान खड़े हो गए और उन्होंने श्री झा को दूसरा कार्यकाल दिलाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। पर उन्होंने अपने इरादे को अपने तक ही सीमित रखा और इसकी भनक तक श्री झा को नहीं लगने दी।
कहते हैं कि श्री सोनी ने श्री झा को अध्यक्ष बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से बहुत कोशिश की, लेकिन आरएसएस में भी ज्यादातर लोगों ने उनका साथ नहीं दिया। दरअसल आरएसएस के नेता शिवराज सिंह चैहान को नाराज नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने श्री सोनी की जगह श्री चैहान के विचार को ही तवज्जो दी।
जिस तरह से श्री झा को अध्यक्ष के दूसरे कार्यकाल से वंचित किया गया है, उसे देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि श्री झा आगे क्या करते हैं। अपने कार्यकाल में उन्होंने पार्टी के अंदर अपने आपको बहुत हद तक स्थापित कर लिया है और उनके समर्थक प्रदेश की अनेक भाजपा समितियों में शामिल हैं। यदि उन्हें केन्द्र मे कोई अच्छी जिम्मेदारी नहीं दी गई, तो वे प्रदेश भाजपा मंे अपने तरीके से हस्तक्षेप करते रहेंगे, जिसके कारण पार्टी के सामने समस्याएं भी आती रहेंगी। (संवाद)
मध्य प्रदेश भाजपा में दरार
प्रभात झा की बिदाई से मतभेद उभरे
एल एस हरदेनिया - 2012-12-27 11:36
भोपालः प्रभात झा को अध्यक्ष के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं दिए जाने के बाद भाजपा की प्रदेश ईकाई मंे दरार साफ दिखाई पड़ रही है।