साधारण नोटिस को असाधारण प्रचार इसलिए मिल रहा है, क्योंकि देश का माहौल ही कुछ ऐसा बना हुआ है। यह माहौल दिल्ली में एक लड़की के खिलाफ चलती बस में किए गए सामूहिक बलात्कार के बाद लोगों के व्यापक गुस्से से बना है। लोगों को इसकी बहुत ही कम जानकारी है कि इस तरह के नोटिस तो समय समय पर आते ही रहते हैं। लोगों की कम जानकारी के कारण सरकार एक साधारण कदम को असाधारण बना कर पेश कर रही है। यह सरकार का एक बहुत ही स्मार्ट स्टंट है।
कमिटी ने लोगों से कहा है कि वे अपना सुझाव ईमेल से जस्टिस वर्मा के पास भेजें। जस्टिस शर्मा का ईमेल पता नोटिस में दिया गया है। इसके अलावा एक विकल्प सुझाव को फैक्स करने का है। इसके लिए फैक्स नम्बर भी नोटिस में बता दिया गया है। लेकिन संचार के इन दोनों साधनों का इस्तेमाल समाज का अभिजात्य तबका ही करता है। देश में ऐसे लोगों की संख्या बहुत ही ज्यादा है, जिनकी पहुंच संवाद के इन दोनों माध्यमों तक नहीं हैं। वे लोग भी बलात्कार जैसी घटनाओं का शिकार होते हैं। बलात्कारी अपना निशाना बनाते समय यह नहीं देखता कि जिसे वह निशाना बना रहा है वह माॅडर्न टेक्नालाॅजी से जुड़ा हुआ है या नहीं। सच कहा जाय तो बलात्कार व अन्य लैंगिक अपराधों की शिकार ज्यादातर देश की वे महिलाएं हो रही हैं, जो संचार के आधुनिकतम माध्यमो से जुड़ी हुई नहीं हैं।
अधिकांश सुझाव अंग्रेजी में आएंगे। कुछ हिंदी में भी आएंगे। संसदीय समिति ने एक परंपरा बना दी है कि लोग अपना सुझाव या तो अंग्रेजी में देंगे अथवा हिंदी में। इसके द्वारा सरकार ने देश के अधिकांश लोगों को सुझाव देने के दायरे से पहले ही बाहर रख रखा है, क्योंकि जो न तो अंग्रेजी जानते हैं और न ही हिंदी, वे अपना सुझाव नहीं दे सकते। लेकिन इसके कारण उन लोगों को बलात्कार की घटनाओं से राहत नहीं मिलती।
जो लोग बलात्कार व अन्य अपराधों के सीधे शिकार हैं, वे इससे संबंधित कानून बनाने में अपने सुझाव देने के योग्य नहीं रह गए हैं और जिनके कारण अपराध के मुकदमे सालों साल लटके हुए रहते हैंए उन्हें बहादुरी के पदक मिलते हैं और वे आगे आकर यह बताने की काबिलियत रखते हैं कि कानूनों में किस तरह के बदलाव होने चाहिएं। यही कारण है कि भारत जैसे एक लोकतांत्रिक देश में लोगों को अपनी राय बताने का अधिकार ही सीमित कर दिया गया है। टेक्नालाॅजी की बाधा उनके सामने खड़ी कर दी गई है।
लोकतांत्रिकता का यह तकाजा है कि नीति निर्माण प्रक्रिया में देश के तमाम लोगों को जोड़ा जाय। इसके लिए जरूरी है कि तमाम लोगों तक राज्य की पहुंच हो और सभी लोग नीति निर्माण की प्रक्रिया में नीति निर्माताओं से जुड़ सकें। इसके लिए यह जरूरी है कि लोगों से जुड़ने के तरीकों का राज्य द्वारा विस्तार किया जाय। संचार के आभिजात्यवादी तरीकों पर निर्भरता जन लोकतंत्र नहीं, बल्कि आभिजात्य लोगों का तंत्र भर बनकर रह जाता है। (संवाद)
जनता से जुड़ने के लिए आभिजात्य माध्यमों का उपयोग क्यों?
बलात्कार वहां भी होते हैं, जहां इंटरनेट नहीं हैं
गर्गा चटर्जी - 2013-01-05 17:10
जस्टिस वर्मा कमिटी ने आम जनता का आह्वान करते हुए कहा है कि वे अपने अनुभवों, विचारों और जानकारियों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध से संबंधित कानूनों मंे बदलाव के लिए सुझाव दें। जस्टिस वर्मा द्वारा जारी की गई इस नोटिस को अनेक अखबारों में प्रकाशित किया गया है। यह एक साधारण कदम है, लेकिन सरकार इसे इस तरह से पेश कर रही है, मानों बलात्कार के खिलाफ उठ रही आवाज के बीच वह कोई असाधारण कदम उठा रही हो। संसदीय समितियां प्रायः इस तरह की नोटिस जारी करती रहती हैं और लोगों का सुझाव मांगती रहती हैं।