मुंबई में पहली उपनगरीय सेवा की शुरुआत अप्रैल 1867 में एक ट्ेन के साथ की गयी थी।1870 में इसे चर्चगेट तक विस्तारित किया गया।वर्ष 1900 तक प्रत्येक दिशा में टे्नों की संख्या बढ़कर 44 हो गयी और इससे पूरे साल में 10 लाख यात्री सफर करने लगे।आज रोजाना 1250 ट्ेनें 35 लाख पैसेंजरों केा ढो रही है ।मुंबई की जीवनरेखा कहलाने वाली यह उप नगरीय रेल सेवा ट्ेन मैनेजमेंट सिस्टम,टीएमएस,से जुड़ा है।व्यस्त समय में ट्ेनों के बीच केवल 3 मिनट का फासला होता है।लेकिन ट्ेन ऑटोमेटिक सिंग्लनिंेग द्वारा संचालित होती रहती है।पैसेंजरो केा ट्ेन आगमन की सूचना डिस्प्ले बोर्ड द्वारा मिलती रहती है।सभी कंट्ोल टावर तथा स्टेशन मास्टर एक कंप्यूटर द्वारा टीएमएस से जुड़े हैं।जहां से प्रत्येक ट्ेन की मॉनिटरिंग की जाती है।मुबंई सेंट्ल में टीएमएस कंट्ोल रूम बनाया गया है।इस कंट्ोल रूम में एक विशालकाय स्क्रीन पर चर्चगेट से विरार तक के सभी ट्ेक,साइडिंग व लूप लाइन सहित प्रदर्शित होते रहते हैं।ट्ेक पर सभी ट्ेनें चलित अथवा स्थिर अवस्था में स्क्रीन पर ब्लिंकर के रूप में दिखाई देती है।ऐसा लगता है कि पूरी उपनगरीय प्रणाली एक स्क्रीन में समा गयी हो।इस स्क्रीन द्वारा ट्ेनों की सटीक स्थिति उपलब्ध हो जाती है।

उप नगरीय ट्ेनांे में महिलाओं यात्रियों की सुविधाओं के बारे में पश्चिम रेलवे के जीएम सुरेश कुमार ने बताया कि फिलहाल प्रतिदिन 6 महिला ट्ेन चलाई जा रही है,निकट भविष्य में दो और महिला ट्ेने चलाईं जाएंगी।शाम 8 बजे से महिला डिब्बों में जीआरपी तैनात हो जाता है।

उन्होंने बताया कि चर्च गेट से विरार के बीच के पैसेंजरों के आरामदायक सफर के लिए रेल मंत्रालय द्वारा एलिवेटेड कॉरिडोर पर विचार किया जा रहा है।

पश्चिम रेलवे की एक और खासियत ऑटोमेटिक वंेडिग मशीन के बारे में जानकारी देते हुए जीएम श्री कुमार ने बताया कि उपनगरीय खंड पर कुल 195 मशीनें लगी हुई है।यात्री जब चाहे मशीनों के संेसर पर अपने स्मार्ट कार्ड को रख कर टिकट प्राप्त कर सकता है।उन्होंने बताया कि सितंबर 2012 से सिक्कों द्वारा परिचालित मशीनों को प्रायोगिक तौर पर शुरू किया गया है।ये मशीनें 1रु ,5रु व 10रु के विशिष्ट सिक्कों एवं 5,10 20, 50,100 एवं 500 रु के महात्मा गांधी सीरीज के नोटों को स्वीकार करती है।इन मशीनों में स्मार्ट कार्ड को रिचार्ज करने की सुविधा उपलब्ध है।