अपने रहस्योद्घाटन में धर्मराजन ने कहा है कि 19 फरवरी, 1996 को कुमली गेस्ट हाउस में कुरियन को वे खुद अपनी गाड़ी में ले गए थे। गौरतलब हो कि कुरियन पर पीडिता ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 19 फरवरीए 1996 की शाम को कुमली गेस्ट हाउस में उसके साथ बलात्कार किया था। उस आरोप को कुरियन लगातार मानने से इनकार कर रहे हैं और उनपर जब मुकदमा चलाने की कोशिश की जा रही थी, तो उन्होंने पहले हाईकोर्ट और बाद मे सुप्रीम कोर्ट से अपने ऊपर से मुकदमा हटवाने में सफलता पाई।

उस मुकदमे में सजा सिर्फ धर्मराजन को ही मिली है। सजा मिलने के बाद वह जमानत पर रिहा होकर फरार हो गया था। उसने अपनी फरारी के दौरान ही एक टीवी चैनल को यह बताया है कि कुरियन भी उस कांड में शामिल थे। उसने यह भी बताया कि जांच कर रहे अधिकारी को भी उन्होंने कुरियन की संलिप्तता के बारे में बताया था, पर जांच अधिकारी ने उसे हिदायत दी थी कि वह कुरियन को इस मामले से अलग रखते हुए ही अपना बयान दर्ज करवाए। उसने वैसा ही किया और उसका फायदा कुरियन को मिल गया। उन पर मुकदमा नहीं चला।

पर अब जब कुरियन पर फिर से मुकदमा चलाने के लिए फिर से जांच करवाने की मांग पीडि़ता द्वारा की जा रही है, तो वैसी हालत में मुख्य अभियुक्त का यह बयान काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके पहले भी जांच अधिकारी पर एक और गवाह आरोप लगा चुका है कि उसके बयान को गलत तरीके से लिखा गया और उसने जो समय बताया था, उसकी जगह एक दूसरा समय जांच रिपोर्ट में दर्ज कर दिया गया। उसके कारण भी कुरियन को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली।

वैसे कुरियन धर्मराजन की बात को गलत बता रहे हैं। वे यह भी कह रहे हैं कि धर्मराजन जो कुछ भी कह रहा है, उसकी सत्यता को कानूनी रूप से कोई अदालत अथवा जांच स्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि उसे पहले ही इस बतात्कार कांड में सजा मिल चुकी है। वह इस मामले का एक मात्र सिद्ध अपराधी है। कुरियन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला दे रहे हैं, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि किसी भी सिद्ध अपराधी की बात को गवाह के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

कुरियन जो कह रहे हैं, वह तकनीकी रूप से सही है। पर धर्मराजन ही एक मात्र ऐसा व्यक्ति नहीं है, जो जांच अधिकारी पर कुरियन के लिए पक्षपात करने का आरोप लगा रहा है। एक और व्यक्ति इस तरह का आरोप पहले भी लगा चुका है। इसके अलावा धर्मराजन का यह भी दावा है कि अपनी बात साबित करने का उसके पास और भी सबूत है।

कुरियन की समस्या यहीं समाप्त नहीं होती है। भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व का बदला हुआ रवैया भी उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। जब उनके खिलाफ दुबारा जांच करवाने और उनके राज्यसभा के सभापति पद से इस्तीफा देने की मांग उठी थी, तो भाजपा ने उनके समर्थन में बयान जारी किए थे। भाजपा के नेता मुरली मनोहर जोशी और मुख्तार अब्बास नकवी ने उनका बचाव किया था। दोनों ने कहा था कि उन्हें इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है और जब तक सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ कुछ नहीं कहता, तब तब उनके खिलाफ फिर से जांच शुरू करवाने की भी जरूरत नहीं है।

भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के उस रुख का एक कारण यह था कि भाजपा के राज्य सभा में नेता अरुण जेटली ने सुप्रीम कोर्ट में कुरियन के मुकदमे की पैरवी थी। लेकिन भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की बात को मानने से केरल प्रदेश भाजपा ने इनकार कर दिया था और उसने कुरियन पर अपने हमले जारी रखे थे।

भाजपा की केरल ईकाई न केवल अपने हमले का जारी रख रही थी, बल्कि उसने अपने नेतृत्व पर भी दबाव बना दिया था कि वह कुरियन से संबंधित अपनी राय बदले। अंत में भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व पर राज्य ईकाई का दबाव काम आया। और अब वह भी राज्य सभा के उपसभापति के पद से उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है।

इस बीच कांग्रेस का प्रदेश और केन्द्रीय नेतृत्व लगातार कुरियन का बचाव कर रहा है। पर नये तथ्यों के बीच उसके लिए कुरियन का साथ देना लगातार कठिन होता जा रहा है। इसके बावजूद वह उनके साथ है, लेकिन उसके द्वारा किए जा रहे बचाव पर लोगों के सवाल उठने लगे हैं। (संवाद)