कोलकाता के अनेक चैंबर्स आॅफ काॅमर्स के प्रवक्तागण अभी से मोदी की उस बैठक के बारे में उत्साहजनक बयानबाजी करने लगे हैं। वे मोदी की यात्रा को सफल बनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार दिखाई पड़ रहे हैं।

लेकिन मोदी के आने से सभी लोग खुश नहीं हैं। उनकी यात्रा से जिन लोगों को परेशानी हो रही है, वे कौन हैं, इसके बारे मंे अनुमान लगाना कठिन नहीं है। जाहिराना तौर पर उन परेशान लोगों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी भी शामिल हैं।

ममता के परेशान होने के कारण भी हैं। मुख्य कारण यह है कि कोलकाता के व्यापारी और उद्यमी जिस उत्साह से नरेन्द्र मोदी की यात्रा का इंतजार कर रहे हैं, उसका एक छोटा हिस्सा भी उन्होंने ममता बनर्जी के मामले में नहीं दिखाया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी उद्यमियों के लिए अनेक सभाएं और गोष्ठियां आयोजित करवाई थीं, जिनमें वे खुद भी शिरकत किया करती थीं, लेकिन उन गोष्ठियों और बैठकों की उपस्थिति बहुत ही निराशाजनक रहा करती थी। उनमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सुनने के लिए किसी प्रकार का उत्साह नहीं दिखाई पड़ता था। कई बार तो गोष्ठी में स्रोताओं की संख्या को बढ़ाने के लिए आयोजक काॅलेज के छात्रों को लाकर बैठा दिया करते थे।

हल्दिया के एक कान्फ्रेंस में ऐसा ही करना पड़ा था। ’’बंगाल लीड्स’ नाम की गोष्ठियों की सीरीज का आयोजन किया जा रहा है। उस सीरीज का दूसरा आयोजन हल्दिया में था। उसमें देश का कोई बड़ा उद्योगपति तो नहीं ही आया, प्रदेश और कोलकाता के उद्यमियों ने भी उसमें आना जरूरी नहीं समझा। उस कान्फ्रेंस में इतने कम लोग थे कि आयोजकों ने काॅलेज के छात्रों को उसमें लाकर बैठा दिया। हल्दिया की उस फजीहत के बाद उन्होंने मुंबई के उद्यमियों से होने वाली अपनी बैठक को स्थगित कर दिया।

भाजपा के नेता तथागत राय का कहना है कि उद्यमियों की बैठक मे ममता बनर्जी सिर्फ अपनी बातें कहने की अभ्यस्त रही हैं। वे अपनी बातों में भी उद्यमियों की समस्याओं को तरजीह नहीं दे रही थीं। वह रोना रोती थीं कि मीडिया उनके खिलाफ हो गया है। वह यह भी कहती थी कि राज्य कर्ज के जाल में फंसा हुआ है और इसके कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं। वे यह भी कहती थीं कि केन्द्र सरकार प्रदेश के साथ भेदभाव कर रही है। अब उद्यमी इन बातों को सुनने के लिए ममता की उन बैठकों में जाने में दिलचस्पी क्यों लेते? इसलिए उन्होने ममता की बैठकों में जाना बंद कर दिया।

नरेन्द्र मोदी के साथ ममता बनर्जी की कुछ व्यक्तिगत समस्या भी है। सिंगूर से भगाए जाने के बाद टाटा ने गुजरात के साणंद में अपना प्लांट लगाया था और उसके बाद नरेन्द्र मोदी ने ममता बनर्जी को शिष्टाचार वश एक पत्र लिख डाला था और बताया था कि प्रदेश को अच्छा प्रशासन कैसे दिया जाता है। इसे ममता बनर्जी ने मोदी द्वारा जले पर नमक छिड़कना समझा और तभी से गुजरात के मुख्यमंत्री से उन्होंने खुन्नस पाल रखी है।

इस बात की पूरी संभावना है कि नरेन्द्र मोदी अपनी बैठक मे लोगों को बताएंगे कि उन्होंने गुजरात के तेज विकास के लिए क्या क्या किया और किस तरह की रणनीति अपनाई। जाहिर है, वह इशारों इशारों में यह बताना चाहेंगे कि पश्चिम बंगाल मे भी कैस उसी माॅडल पर विकास किया जा सकता है। आज जब पश्चिम बंगाल के किसी भी मंत्री को यह नहीं पता है कि राज्य के उद्यमियों की समस्या का कैसे समाधान किया जाय, गुजरात के मुख्यमंत्री का भाषण निश्चय ही उन्हें चुभेगा और इसी सबसे ज्यादा चुभन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ही महसूस होगी।

फिलहाल यात्रा के दौरान ममता बनर्जी और नरेन्द्र मोदी के बीच मुलाकात का कोई कार्यक्रम तय नहीं है। गुजरात के मुख्यमंत्री के कार्यालय से अभी तक ममता बनर्जी के साथ मुलाकात करने के लिए किसी प्रकार का प्रयास नहीं हुआ है। ममता ने वैसे पहले ही कह रखा है कि उनका प्रदेश गुजरात के विकास के माॅडल यानी दंगों के माॅडल को नहीं अपनाएगा। मुसलमानों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए ममता बनर्जी उस दिन शायद कोलकाता से बाहर का कोई प्रोग्राम बना डाले और नरेन्द्र मोदी के सामने आने की नौबत ही नहीं आने दे। (संवाद)