सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने यह माना कि फिल्म पुरस्कारों में कुछ त्रुटियां थीं जिसके कारण अनेकों बार पुरस्कारों को लेकर विवाद उठता रहा और मामला दिल्ली उच्च न्यायालय तक पहुंच गया और पुरस्कार वितरण समारोह तीन सालों से पीछे टल गया। उल्लेखनीय है कि अभी तक - जबकि 2010 दस्तक दे रहा है - वर्ष 2008 के ही उच्च फिल्मों के पुरस्कारों का चयन भी नहीं हो सका है, पुरस्कार वितरण की बात दो दूर।

समिति ने यह हैरानी व्यक्त की कि आज से तीस साल पहले बी बी कारंत समिति की सिफारिश थी कि एक चलचित्र अकादमी बनाया जाये, लेकिन उसे ठंडे बस्ते में रखा गया।

समिति ने यह भी माना कि पुरस्कारों में जो राशि दी जाती है वह उपयुक्त नहीं है और समिति इसपर भी विचार करेगी।

समिति की बैठक में यह बात उठी कि पुरस्कार का चयन दो स्तरों पर होना चाहिए - एक प्रादेशिक और एक राष्ट्रीय।

बैठक में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्रीमती अंबिका सोनी ने कहा कि मंत्रालय चाहता है कि समिति की सिफारिशों से लोगों को लाभ पहुंचे और पुनर्गठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 2009 लोगों के समक्ष आये ।

श्रीमती सोनी ने यह भी इच्छा व्यक्त की कि एक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार किया जाए जिससे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हर वर्ष के कार्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान पाए तथा ऐसी उचित लोकतांत्रिक पारदर्शी प्रक्रिया अपनायी जाए कि मुकदमे यदि पूरी तरह खत्म न भी हों तो भी उनकी संख्या कम से कम जरूर हो जाए ताकि निर्धारित कार्यक्रम बिल्कुल बिगड़ने न पाये जैसा कि हाल में हो गया था ।

विचार-विमर्श जारी रखते हुए सदस्यों ने स्वीकार किया कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की एक मर्यादा और महत्व है , और उसने भारतीय सिनेमा को उचित मान्यता प्रदान कराई है । सदस्यों ने सुझाव दिया कि तकनीकी प्रगतियों को ध्यान में रखते हुए पुरस्कारों की और श्रेणियां बना दी जाएं जिसमें नये पेशे वाले मीडिया क्षेत्रों तथा नये-नये प्रारूपों को मान्यता दी जाय, दो स्तरीय जूरी प्रणाली क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय बनाई जाए जिससे भाषा के क्षेत्रीय महत्व को भी उजागर किया जा सके ।

सदस्यों ने सुझाव दिया कि सत्यजीत राय कमेटी की सिफारिशों और कारंत कमेटी की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाए । एक चलचित्र अकादमी स्थापित की जाए, पुरस्कारों की देय राशि भी बढा़ई जाए । सेन्सर प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने पर भी विचार-विमर्श किया गया । बैठक में भाग लेने वालों में सर्वश्री श्याम बेनेगल, अशोक विश्वनाथन, जन्हु बरूआ, मोहन अगाशे, नागेश कुकनूर, राजीव महरोत्रा, शाही करून और विशाल भारद्वाज के साथ-साथ सुश्री सई परांजपे और शर्मिला टैगोर भी मौजूद थे ।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी तथा फिल्म समारोह निदेशालय के अनेक अधिकारी भी इस बैठक में उपस्थित थे ।

समिति राष्ट्रीय फिल्म समारोह के स्तर उन्नयन की भी सिफारिश करेगी । गैर-फीचर और सिनेमा संबंधी उत्कृष्ट लेखन तथा दादा साहेब फालके पुरस्कार तथा अन्य विनियमों में परिवर्तन के भी सुझाव प्रस्तुत किए गए । #