पी. डी. यू. इंडोर स्टेडियम में 21 वीं सदी में सामाजिक व आर्थिक चुनौतिंयाँ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में आयोजित किया गया था। जिसमें विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि मानवता और इस्लाम का पैगाम एक है ,शांति की स्थापना जो शिक्षा से ही सम्भव है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर मुसिलमों के संदर्भ में विभिन्न प्रकार की चर्चा चल रही है लोग मुसलमानों पर जिहाद का आरोप लगा रहे हैं लेकिन यदि वह लोग इस सम्मेलन को आकर देखें तो वह जान लेंगे कि जिहाद क्या है। हजरत एम फजलुरहीम मुजादददी इस सम्मेलन के प्रमुख वक्ता थे।
सलमान खुर्शीद ने धर्म की बुनियाद पर आरक्षण को नकारते हुये कहा कि इस्लाम में आरक्षण की कोर्इ व्यवस्था नहीं है। तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में पिछड़ेपन की आधार पर ही मुसलमानों को आरक्षण मिल रहा है। उन्होंने महात्मा गांधी के जरिए शुरू की गर्इ वरधा स्कीम जिसके तेहत जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना हुर्इ थी को एक पहल बताते हुए कहा कि शिक्षा को लेकर आज तक इतना बड़ा कार्यक्रम कहीं नहीं हुआ। ये कार्यक्रम इसलिये भी अहम है कि इसमें भावनात्मक मुददों के बजाये शिक्षा के अधिकारों पर बात हुर्इ, जो मुसलमानों के लिए शुभ संकेत है।
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा की अब से कोर्इ 20 साल पहले जब कम्पयूटर का चलन बहुत कम था उस वक्त मौलाना हजरत एम फजलुरहीम मुजादददी के मदरसे में कम्पयूटर था जिससे मौलाना की शिक्षा के प्रति चिंता जाहिर होती है। उन्हौंने कहा कि आज मदरसों में दीनी शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा की सख्त जरूरत है।
स्ट्राइव फार एमीनेंस एण्ड इमपावरमेंट (सी) के चैयरमेन मौलाना मौहम्मद फजलुर्ररीम मुजद्देदी ने 21वीं सदी की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि 20 वीं सदी की चुनौती थी रोटी, कपड़ा और मकान। लेकिन आज परिभाषा बदल चुकी है। मौलाना ने योजना आयोग की रिपोर्ट के हवाले से विभिन्न राज्यों में मुसलमानों की सिथति पेश करते हुये कहा कि बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश जो कि बीमार राज्य कहलातें हैं में लगभग 34 फीसदी मुसलमान ग़रीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं, जबकि चमकते गुजरात में ये 42 फीसदी हैं। संतुलित भोजन में राष्ट्रीय स्तर पर यू पी. का ग्राफ 23 फीसदी है जबकि गुजरात में भूख से मरने वालों की संख्या 24 फीसदी है। शैक्षिक स्तर पर गुजरात 19 वीं स्थान पर है और लगभग 35-39 फीसदी मुसिलम बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। इसी तरह बाल मज़दूरी में भी गुजरात का ग्राफ सबसे ऊपर है। मौलाना मुजद्देदी ने राज्य सरकारों से कहा कि 12 वीं पंच वर्षीय योजना जिसपर सभी राज्यों के मुख्य मं«ाियों ने हस्ताक्षर किया हैं के क्रियान्वन में भेद-भाव क्यों किया जा रहा है। प्री मेट्रीक छा«ावृतियों में राज्य सरकारों को अपना 25 फीसदी हिस्सा देना चाहिये जिससे मुसिलम छा«ा लाभानिवत हो सकें। देश का मुसिलम समुदाय जबतक मजबूत नहीं होगा तब तक देश उन्नति नहीं करेगा।
मौलाना ने 12 वीं पंच वर्षीय योजना में शैक्षिक ढांचे पर चर्चा करते हुए कहा कि देश में 338 टाउन अति पिछड़े के तौर पर चिंहित किए गए हैं जिनमें आर्इ टी आर्इ, पालीटैक्नीक और लड़के लड़कियों के लिए स्कूल सहित हास्टल खोलने का प्रावधान है लेकिन एक साल गुजरने के बाद भी अल्पसंख्यक मं«ाालय ने अभी तक इसके लिए कोर्इ रोड-मैप नहीं बनाया है। उन्होंने ये भी कहा कि यदि केंद्र सरकार राज्य सरकारों द्वारा ज़मीन देने की शर्त खत्म कर दे तो हम जमीन देने के लिये तैयार हैं और उस पर जो स्कूल बने उसमें 50 फीसदी अल्पसंख्यक दाखिलों को सुनिशिचत किया जाए। उन्होंने कहा कि 11 वीं योजना में सामाजिक विकास के लिए 11 लाख करोड़ रूपये रखे गये थे लेकिन 12 वीं योजना में इसे बढ़ा कर 26 लाख करोड़ रूपये कर दिए गए हैं। 15 फीसद मुसिलम अल्पसंख्यक के लिहाज से उन्हें 2017 तक 4 लाख करोड़ रूपये मिलने हैं।
इससे पहले पूर्व सांसद इरशाद मिर्जा बैग ने मौलाना के प्रयासों को सराहते हुए कहा कि इससे अल्पसंख्यकों में चेतना आर्इ है। उन्होंने कहा कि संविधान में हमारी पहचान एक धार्मिक इकार्इ के रूप में होती है और इसी बुनियाद पर जब हमें कुछ देने की बात होती है तो सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप लगाया जाता है जबकी हमारी मांग संविधन के अनुरूप है। उन्होंने कारीगरों को छोटे कजोर्ं द्वारा ऊपर उठाने और सोशल सर्वे डाटा के लिए नेशलन इंस्टीटयूट की स्थापना पर बल दिया एवं सरकार की विकासशील योजनाओं की निगरानी प्रधान मं«ाी कार्यालय द्वारा कराने की बात कही।
अन्य वकताओं में लुइस खुर्शीद, मुख्तार भार्इ नाटी वाला, मौŒ इकबाल खान और मुफती इसमार्इल कछोलवी आदि शामिल हैं। जाकिर कुरैशी ने स्वागती भाषण दिया।
इस अवसर पर मौलाना मुजद्देदी द्वारा 12 वीं पंच वर्षीय योजना पर तैयार की गर्इ रिपोर्ट का भी विमोचन किया गया।
सूरत में की गयी मुसिलमों के आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों पर चर्चा
एस एन वर्मा - 2013-05-12 14:43
सूरत। हीरों की तराशी के लिए संसार भर में प्रसिद्ध गुजरात के इस शहर में आज मुसिलमों के तरक्की और बेहतरी के लिए विद्वानों,समाजसेविओं और नेताओं ने गहन चिंतन की तथा साफ साफ शब्दों में सरकार को संदेश दिया गया कि मुसलमानों के उत्थान के बिना देश विश्व में नंबर वन नहीं बन सकता है। जब तक भारत का यह तबका पिछड़ा रहेगा देश प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता।