शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ खास तो हुआ ही नहीं, पीने का पानी, सड़क और बिजली के क्षेत्र में भी कुछ नहीं किया जा सका। कुपोषण का चैतरफा राज है, जिसके कारण शिशु मृत्यु दर बहुत ऊंची है। महिलाओं और दलितों के खिलाफ होने वाले अपराध बहुत बढ़ गए हैं। आदिवासी और मुसलमान बहुत ही दयनीय स्थिति में रह रहे हैं।
इन सबके बावजूद यदि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, तो इसका कारण है उनके द्वारा की गई सोशल इंजीनियरिंग। उनकी सोशल इंजीनियरिंग का ताजा अध्याय है उनकी सरकार द्वारा कराए गए सामूहिक विवाह। इस तरह के सामूहिक विवाह राज्य के अनेक हिस्सों में कराए गए।
अक्षय तृतीया को शादी के लिए शुभ दिन माना जाता है। आमतौर पर उस दिन भारी संख्या में शादियां होती हैं। शादियों को लोग पारिवारिक चीज मानते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री चैहान ने इसे सामुदायिक और सामाजिक घटना में तब्दील कर दिया है। जब वे मुख्यमंत्री नहीं थे, तब भी वे इस तरह के सामूहिक विवाह आयोजित करवाया करते थे। उस समय वे इन शादियों के लिए खुद ही संसाधनों का इंतजाम करते थे।
मुख्यमंत्री बनने के बाद तो उन्होंने सामूहिक विवाह करवाना राज्य सरकार का एक नियमित काम बनवा दिया। अब राज्य सरकार इन आयोजनों का खर्च वहन करती है। राज्य सरकार स्थानीय निकायों, पंचायतों और गैर सरकारी संगठनों को शादियों को आयोजित कराने के लिए धन देती है।
इस साल इस बात का खास ध्यान रखा गया कि सामूहिक शादियां भारी संख्या मंे आयोजित हों। पिछले 12 मई को अक्षय तृतीया थी। उस दिन राज्य भर में सरकार द्वारा प्रायोजित शादियां हुईं। प्रदेश सरकार के सभी मंत्री उस दिन भोपाल से बाहर अपने अपने इलाकों में थे और उन शादियों में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे थे।
इस तरह के सामूहिक विवाहों में सरकार लड़कियों के मां- बाप की भूमिका में आ जाती है। वह दुल्हन को उसके मां- बाप के रूप में उपहार देती है। यह उपहार कुकिंग गैस कनेक्शन और गैस सिलिंडर हो सकता है, बर्तन हो सकते हैं, फर्नीचर भी हो सकते हैं और शादीशुदा जिंदगी में इस्तेमाल किए जाने वाला वाला कोई भी चीज हो सकती है। सरकार की तरफ से तो उपहार मिलते ही हैं, मंत्री, सांसद, विधायक और स्थानीय पार्टी नेता भी अपनी तरफ से शादीशुदा नये जोड़ों को कुछ न कुछ देते हैं। इस अवसर पर वे मुख्यमंत्री की महिमा का बखान भी करते हैं और सरकार की उपलब्धियों को भी गिनाते हैं।
एक वैसे ही शादी समारोह में राज्य सरकार के मंत्री जयंत मालवीय ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अपने कन्यादान योजना से गरीबों की भारी पैमाने पर सहायता की है। उन्होंने कहा कि उस समारोह में 1100 जोड़ों की शादी हुई। उनमें तो कुछ ऐसे थे, जिन्हें उम्मीद ही नहीं थी कि उनकी शादी हो भी सकती है। इस तरह की शादियों को कन्यादान योजना का नाम दिया गया था, तो अनेक सेकुलर विचारकों ने इसकी आलोचना करते हुए कहा कि सरकारी धन से एक खास धार्मिक समुदाय के लोगों को लाभी पहुंचाया जा रहा है। आलोचनाओं के बाद राज्य सरकार ने सफाई दी कि कन्यादान योजना में निकाह भी शामिल है। गौरतलब है कि मुस्लिम शादी को निकाह कहते हैं।
तीर्थयात्रा करवाने का काम भी राज्य सरकार कर रही है। राज्य सरकार ने पहले हिंदुओं को तीर्थ यात्रा करवाने के लिए विशेष योजना बनाई थी, जिसके तहत इच्छुक लोगो ंको इकट्ठा कर सरकार अपने खर्च से उन्हें तीर्थयात्रा करवाती थी। बाद में मुसलमानों और ईसाइयों को भी उनके पवित्र स्थलो का दौरा सरकारी पैसे से करवाया जाने लगा।
मध्यप्रदेश सरकार श्रीलंका में सीता मंदिर के निर्माण पर भी खर्च कर रही है। आश्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकार ने भी उसे सरकारी पैसे से वहां सीता मंदिर बनाने की अनुमति दे दी है। सरकारी पैसे के इस्तेमाल से घार्मिक स्थलों का निर्माण संविधान की घर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ जाता है, लेकिन लगता है कि कांग्रेस को डर लगा कि यदि केन्द्र सरकार ने सीता मंदिर के निर्माण पर खर्च करने की अनुमति मध्यप्रदेश सरकार को नहीं दी, तो हिंदू मतदाता उससे नाराज हो सकते हैं और भाजपा कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी करार देगी। भाजपा को पता है कि धार्मिक कार्यों से संबंधित सरकारी योजनओं से वोक बैंक मजबूत होता है।(संवाद)
लैपटाप की क्या बात, यहां तो सामूहिक विवाह कराए जाते हैं
सरकार विफलता को छिपाने के लिए लोगों को दे रही है तोहफे
एलएस हरदेनिया - 2013-05-31 07:43
भोपालः यदि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव मे जीत हासिल करती है, तो इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज चैहान द्वारा की जा रही सोशल इंजीनियरिंग जिम्मेदार होगी। मुख्यमंत्री सत्ता संभालने के बाद से ही इस इंजीनियरिंग में लगे हुए हैं। शिवराज और उनकी पार्टी को पता है कि पिछले 10 साल के शासनकाल में उन्होंने लोगों की मूल समस्याओं को हल नहीं किया है।