17.730 किलोमीटर लम्बे बनिहाल-काज़ीगुण्ड सैक्शन के 6.514 किलोमीटर का भाग तीखे मोड़ और तटबन्धों वाला है जिस पर पुलों के अलावा 11.215 किलोमीटर का सुरंग मार्ग भी है । लगभग 11,78,500.00 क्यूबिक मीटर भूमि की कटाई और भराई का कार्य पूरा कर लिया गया है । सबसे गहरा कटाव 15.20 मीटर और सबसे ऊंचा तटबन्ध 16.70 मीटर का है । इस सैक्शन पर 39 पुलों का निर्माण किया गया है जिनमें 2 बड़े और 30 छोटे पुल तथा 7 रोड ओवर ब्रिज/रोड अण्डर ब्रिज हैं । इस सैक्शन को पूरा करने में रेलवे को 1691.00 करोड़ रूपये की कुल लागत आई है ।

इस सैक्शन पर 11.215 किलोमीटर लम्बी एकमात्र पीरपंजाल सुरंग है । यह भारत की सबसे लम्बी और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी यातायात सुरंग है । इस सुरंग को 1300.00 करोड़ रूपये की कुल लागत से तैयार किया गया है । इस सुरंग को पूरा करने में लगभग 7 वर्षों का समय लगा है । इसमें लगभग 7500 मीट्रिक टन इस्पात, 3,28,000 क्यूबिक मीटर कंक्रीट का इस्तेमाल करने के साथ-साथ 10,00,000 क्यूबिक मीटर भूमि की खुदाई का कार्य किया गया है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए 1300 श्रमिकों के साथ-साथ 150 इंजीनियरों का दल दिन-रात जुटा रहा ।

इस सुरंग के कार्य में तेजी लाने के लिए 772.00 मीटर लम्बे और 56.00 मीटर गहरे एक शाफ्ट तथा 11.00 मीटर व्यास वाले एक मुहाने का निर्माण किया गया है । इस सुरंग का निर्माण एनएटीएम (न्यू ऑस्ट्रियन सुरंग पद्धति) द्वारा किया गया जो भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर प्रयोग में लागया गया। इस पद्धति में भूमि की खुदाई के तुरन्त बाद उसकी आंतरिक क्षमता को मोबिलाइज कर उसे सहारा देकर उसकी आंतरिक क्षमता को पुन: लौटने तक उसकी निगरानी की जाती है। भू-तकनीकी सर्वेक्षणों के लिए इस सुरंग का अधिकतम भार 1100 मीटर और बोरिंग के कुंओं को 640 मीटर तक गहरा खोदा गया है । इस सुरंग के भीतर अनुरक्षण, आपातकालीन राहत और बचाव कार्यों के लिए 3.0 मीटर चौड़ी एक सड़क का निर्माण भी किया गया । सुरंग के भीतर अत्याधुनिक किस्म की वायु गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली, वेण्टिलेशन प्रणाली, संचार प्रणाली, अग्नि-शमन प्रणाली और आपात स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन राहत प्रणाली भी स्थापित की गयी । सुरंग के अन्दर गिट्टीरहित रेलपथ बिछाया गया है जो बेहतर गति गुणवत्ता के साथ-साथ प्रदूषण और अनुरक्षण मुक्त है । इन प्रणालियों के अवस्थापन से पीर-पंजाल सुरंग पूर्णतया सूखी, प्रदूषण-मुक्त, सुरक्षित, आरामदायक और प्रकाशमान रहेगी ।

बनिहाल-काज़ीगुण्ड रेल सैक्शन के खुल जाने से जम्मू एवं कश्मीर राज्य के जम्मू मंडल और कश्मीर मंडल भारतीय रेल नेटवर्क से सीधे जुड़ जायेंगे । इस रेल सैक्शन पर दो बड़े रेलवे स्टेशन, जम्मू मंडल में बनिहाल और कश्मीर मंडल में काज़ीगुण होंगे । इनके अलावा काज़ीगुण्ड रेलवे स्टेशन से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर अनन्तनाग जिले में हिल्लर गांव में एक हॉल्ट भी बनाया जा रहा है जो स्थानीय लोगो की मांग को पूरा करके उन्हें रेल सुविधा प्रदान करेगा ।

वर्तमान में जाड़ों के मौसम में भारी हिमपात के चलते जवाहर सुरंग के बन्द हो जाने के कारण बनिहाल और काज़ीगुण्ड के बीच यात्रा करने वाले रेल यात्रियों द्वारा अनेक समस्याओं का सामना किया जा रहा है । इन सर्दियों के दौरान भारी हिमपात और फिसलन भरे रास्तों जैसी दिक्कतों के चलते दिसम्बर, 2012 से मार्च, 2013 तक लगभग चार माह के लिए जम्मू और श्रीनगर राजधानी शहरों के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर एकतरफा यातायात ही बहाल किया गया जिससे इन रास्तों में फंसे लोगों को भारी असुविधा हुई ।

बनिहाल-काज़ीगण्ड के बीच रेल सेवाओं के शुरू हो जाने से इस प्रकार की सभी समस्याएं कम होंगी । इसके अलावा बनिहाल और काज़गुण्ड के बीच 35 किलोमीटर का मार्ग घटकर 17.729 किलोमीटर ही रह जायेगा, जो सस्ता, तीव्र और उपयोगी यातायात सम्भव बनायेगा।