उनसे जुड़ी जो कुछ बातें मीडिया में खास चर्चा का विषय रहीं, उनमें उनके द्वारा उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को फिर पटरी पर लाना, कांग्रेस के साथ युवाओं को जोड़ना और सबसे ऊपर केन्द्र सरकार में मंत्री पद पर नहीं बैठना है। राहुल ने साफ कर रखा है कि वे एक समय में उक ही काम कर सकते हैं। और उनकी पहली पसंद है कांग्रेस पार्टी को मजबूत करना। इसके लिए उन्होंने मंत्री पद को त्याग रखा है।
2009 में कांग्रेस को सबसे बड़ी सफलता उत्तर प्रदेश में हासिल हुई, जहां कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राजबब्बर की जीत के बाद कांग्रेस की उत्तर प्रदेश से लोकसभा में 22 सीटें हो गई हैं, जो मुलायम की समाजवादी पार्टी की सीट संख्या के बराबर है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को यह सफलता नहीं मिलती, यदि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया होता। राहुल गांधी वहां किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने के सख्त खिलाफ थे और उन्हीं की राय को मानकर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अकेली चुनाव में शामिल हुई थी।
लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े स्टार प्रचारक के रूप में उभरे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही नहीं, बल्कि सोनिया गांधी से भी ज्यादा चुनावी सभाएं संबोधित की थी। लोकसभा चुनाव के पहले से ही राहुल पार्टी को मजबूत बनाने के लिए दलितों और गरीबों की बस्तियों की खाक छान रहे थे। लोकसभा चुनाव के बाद भी उनका यह कार्यक्रम जारी है। उसके अलावा वे युवाओं को पार्टी से जोड़ने के प्रयास में भी लगे हुए हैं।
राहुल गांधी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में शिरकत के साथ ही राजनीति में प्रवेश किया। उसमें उन्होंने अपने आपको मुख्य रूप से अमेठी और रायबरेली तक ही सीमित रखा। उसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश पर घ्यान देना शुरू कर दिया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपने आपको पूरी तरह झोंक दिया था। उस चुनाव में उनकी पार्टी और उनको सफलता नहीं मिली। मायावती कर सरकार बनी। पर उसके बाद भी उनका उत्तर प्रदेश में अभियान जारी रहा और उसकर फल उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिला।
राहुल गांधी युवाओं को भारी संख्या में आकर्षित कर रहे हैं। वे उनके बीच अपने आपको पेश करते हुए कहते हैं कि अपनी पारिवारिक प्ष्ठभूमि के कारण वे राजनीति के शिखर पर हैं आर युवाओं को बताते हैं कि उनमें से अधिकांश को उनके जैया अवसर नहीं प्राप्त है, लेकिन वे कहते हैं कि जिन लोगों कों अवसर नहीं मिल रहे हैं, उन्हें वे अवसर देना चाहते हैं। यह कहना वे नहीं भूलते कि वे वैसे लोगों को पार्टी में जगह देने के पक्ष में नहीं हैं, जो सिर्फ अपने परिवार के कारण ही राजनीति में आगे बढ़ना चाहते हैं।
राहुल गांधी देश की राजनीति में बदलाव लाना चाहता हैं और नियुक्ति की जगह चुनाव के द्वारा संगठन को मजबूत बनाना चाहते हैं। वे युवा कांग्रेस और कांग्रेस की छात्र इकाई के प्रभारी हैं और इन संगठनों में नियुक्ति की जगह चुनाव को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके इरादे बहुत अच्ठे हैं। उनके पिता के इरादे भी बहुत अच्छे थे, लेकिन वे सफल नहीं हुए। सवाल उठता है कि क्या राहुल सफल हो पाएंगे? (संवाद)
भारत: राजनीति
कांग्रेस के फिर से निर्माण का मामला
क्या सफल हो पाएंगे राहुल?
कल्याणी शंकर - 2009-12-26 11:16
याहू इंडिया ने राहुल गांधी को भारत का 2009 का सबसे बड़ा न्यूजमेकर बताया है। यह राहुल गांधी से जुड़ी खबरों को क्लिक किए जाने वाले आंकड़ों के आधार पर बताया गया हैं। आईबीएन- सीएनएन ने अपने दर्शकों की पसंद के आधार पर राहुल गांधी को 2009 का वर्ष का राजनीतिज्ञ बताया है। इंडिया टीवी की भी यही राय है।