बैठक में इस कलह की चर्चा कैलाश जोशी ने बहुत ही स्पष्ट रूप से की। श्री जोशी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और इस समय वे सांसद हैं। उनका कहना था कि प्रदेश में पार्टी के अंदर गुटबाजी बढ़ती ही जा रही है। गुटबाजी की चर्चा करने के साथ साथ कुछ नेताओं ने सरकार द्वारा अपनाई जा रही जनकल्याण की नीतियों के चुनाव में पड़ने वाले प्रभाव पर भी चर्चा की।
मध्य प्रदेश की पार्टी प्रभारी अनंत कुमार की उपस्थिति में वह बैठक हो रही थी। उसमें कैलाश जोशी ने बड़ी ही साफगोई से अपनी चिंता सबके सामने रखी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है। भले ही सरकार तीसरी बार अपनी सरकार बना ले, लेकिन यदि उसकी वर्तमान स्थिति आगे भी बनी रही, तो इसकी हालत उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी जैसी हो जाएगी, जहां अध्यक्ष पिता और मुख्यमंत्री बेटा में तालमेल नहीं बैठ पा रहा है।
श्री जोशी ने सरकार द्वारा जनकल्याण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों के चुनावी फायदे पर भी संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीबों को सस्ती कीमत पर अनाज दिया जा रहा है और इसके कारण खेतों में काम करने वाले मजदूरों की कमी हो गई है। यदि कोई एक दिन की कमाई से ही महीने भर का भोजन प्राप्त कर ले, तो फिर महीने भी काम करने की उसकी प्रवृति नहीं रहती। उन्होंने झोपडि़यों में रह रहे लोगों को पट्टा दिये जाने का भी विरोध किया और कहा कि इसके कारण अतिक्रमण बढ़ रहा है और इस योजना से पार्टी को ज्यादा फायदा होने वाला नहीं है।
उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर तीन तरह के कार्यकर्ता हैं। पहली श्रेणी के कार्यकर्ता वे हैं, जो सरकार से फायदा उठा रहे हैं। दूसरी श्रेणी के कार्यकत्र्ता वे हैं, जो संगठन से फायदा उठा रहे हैं और तीसरी श्रेणी के कार्यकत्र्ता वे हैं, जो सिद्धांतवादी है। वे न तो सरकार से फायदा उठा रहे हैं और न ही संगठन से। इस श्रेणी के कार्यकत्र्ताओं में सरकार के खिलाफ असंतोष है।
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने ने भी चुनाव जीतने के लिए सरकारी कार्यक्रमों पर निर्भरता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पहले भी चुनाव विकास के नाम पर लड़े गए और हारे गए। उन्होंने कहा कि चुनाव में कुछ भावनात्मक मसलों का भी सहारा लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अंत्योदय और अन्न योजनाओं पर बहुत काम किया था, लेकिन इसके बावजूद पार्टी चुनाव हार गई थी।
श्री भागव ने कहा कि केदारनाथ त्रासदी पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चुप्पी साध रखी है। उनकी इस चुप्पी को चुनावी मुद्दा बनाया जा सकता है।
राष्ट्रीय सचिव सुधा मल्लैया ने सलाह दी कि चुनावी आचार संहिता के अमल में आने के पहले ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीपीएल कार्ड दे दिया जाय। पार्टी के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि बीपीएल कार्ड धारको की संख्या और भी बढ़ाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि बीपीएल परिवारों की सुची पर प्रदेश और राज्य सरकार के बीच मतभेद है। उन्होंने कहा कि राज्य को सिर्फ 20 किलोग्राम पति गरीब ही अनाज मिल रहा है। गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने भी सुर मे सुर मिलाते हुए कहा कि उन्हें उस बूथ पर मात्र 60 फीसदी मत ही मिले, जिसके लोगांे मे से 99 फीसदी को बीपीएल कार्ड मिला हुआ है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का कहना था कि अभी से चुनावी खर्च का विनियमित करना शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि निर्वाचन आयोग इस पर कड़ा रुख अपना रहा है।
कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसुमारिया और इंदौर के मेयर कृष्ण मुरारी मोघे ने सलाह दी कि समाज विरोधी तत्वों को सफाया कर दिया जाना चाहिए, ताकि वे चुनाव को प्रभावित नहीं कर सकें। सांसद सुमित्रा महाजन ने नरेन्द्र मोदी की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी कुछ किए जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि साबरमती में श्री मोदी द्वारा किए गए उपवास के कारण स्थिति माकूल हो गई थी। (संवाद)
मध्य प्रदेश भाजपा गुटबाजी की शिकार
जिला स्तर पर स्थिति और भी बदतर
एल एस हरदेनिया - 2013-07-04 18:03
भोपालः कांग्रेस की तरह भारतीय जनता पार्टी भी अंदरूनी कलह की शिकार हो गई है। पिछले दिनों पार्टी की प्रदेश चुनाव समिति की बैठक हुई। उस बैठक में इस कलह के बारे में चर्चा की गई और चेतावनी दी गई कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो यह पार्टी के हित में नहीं होगा।