पहली घटना तो निवर्तमान वित्तमंत्री राघवजी से जुड़ी हुई है। अपने जीवन के 80वें साल में प्रवेश कर गए राघव जी पर उनके नौकर ने अप्राकृतिक दुष्कर्म और यौनशोषण का आरोप लगाया है। राघवजी पिछले 10 साल से लगातार प्रदेश के वित्तमंत्री थे। इस बीच तीन मुख्यमंत्री बने, पर राघवजी सबके कार्यकाल में वित्तमंत्री बने रहे।
एक युवक ने उनपर सरकारी नौकरी का लालच देकर यौण शोषण का आरोप लगा दिया। आपत्तिजनक स्थिति में सीडी भी तैयार कर ली। पार्टी के एक ही नेता शिवशंकर पटेरिया ने दावा किया कि सीडी बनाने का काम उनका था और उस तरह के 22 सीडी उनके पास है।
जाहिर है, इस घटना ने भाजपा को हिलाकर रख दिया है। राघवजी ने सरकार से इस्तीफा दे दिया और पार्टी ने उनसे जवाबतलब किए बिना उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। उन पर मुकदमा भी दर्ज हो चुका है और फिलहाल वे गिरफ्तारी का सामना कर रहे हैं।
यह तो राघवजी की समस्या है कि वे गिरफ्तारी से कैसे बचें, पर भाजपा के सामने इसने एक राजनैतिक समस्या खड़ी कर दी है। मुख्य विपक्षी कांग्रेस इस मामले पर बंद का आयोजन कर रही है और घरना प्रदर्शन भी कर रही है। वह आरोप लगा रही है कि जानकारी होने के बावजूद भाजपा ने एक ऐसे व्यक्ति को 10 सालों तक वित्तमंत्री बनाए रखा, जो आदतन यौन अपराधी था।
एक दूसरी घटना, जिससे भाजपा को परेशानी हो रही है, वह एक नौकरशाह को उच्च न्यायालय से मिल क्लीन चिट से संबंधित है। मामला प्रदेश के पूर्व गृह सचिव राजेश राजोरा से संबंधित है। उनके खिलाफ राज्य सरकार ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। उस कार्रवाई को अदालत ने अवैध घोषित कर दिया है। राज्य सरकार ने वह कार्रवाई आयकर विभाग द्वारा उनके घर पर किए गए रेड के बाद की थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि आयकर विभाग ने राजोरा के खिलाफ वह कार्रवाई बदले की भावना से की थी। एक आयकर अधिकारी को भोपाल में कभी एक बड़ा सरकारी बंगला चाहिए थे। उस समय श्री राजोरा प्रदेश सरकार में गृहमंत्री थे। उन्होंने उस आयकर अधिकारी को सरकारी बंगला दिलाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। उसके कारण ही वह अधिकारी राजोरा के खिलाफ हो गया और बदला निकालने के लिए छापेमारी की कार्रवाई कर दी।
उच्च न्यायालय से जीत हासिल होने के बाद राजोरा ही नहीं, बल्कि आइएएस अधिकारियों का संगठन भी आंदोलित हो गया है। अब वे उन आयकर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने गलत इरादे से राजोरा के घर पर छापा मारा और उन्हें प्रताडि़त किया। दोषी आयकर अधिकारियों के खिलाफ अपनी लड़ाई को अंतिम तार्किक परिणति पर ले जाने की कसमें प्रदेश के आइएएस अधिकारी खा रहे हैं।
उधर आयकर अधिकारी भी शांत नहीं बैठे हैं। वे भी मोर्चेबंदी कर रहे हैं और अपने किसी अधिकारी के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई होने की स्थिति में खुद जंग शुरू कर देने का एलान कर रहे हैं। अधिकारियों के दो समूहों का एक दूसरे के खिलाफ खड़ा हो जाना प्रदेश में विचित्र स्थिति पैदा कर रहा है। भारतीय जनता पार्टी का एक राजनैतिक पार्टी के रूप में इससे कोई लेना देना नहीं है, लेकिन वहां सरकार उसी की है और अधिकारियों के आंदोलन और विरोध के कारण प्रदेश में प्रशासनिक समस्या खड़ी हुई, तो उसका खामियाजा चुनावों के दौरान भाजपा को ही उठाना पड़ेगा। (संवाद)
मध्यप्रदेश भाजपा के सामने दो चुनौतियां
चुनाव के ठीक पहले खराब हो रहा है माहौल
एल एस हरदेनिया - 2013-07-09 18:21
भोपालः पिछले दिनों की दो घटनाओं ने मध्यप्रदेश भाजपा के सामने बहुत बड़ी कठिनाइयां पेश कर दी हैं। आगामी नवंबर महीने में प्रदेश विधानसभा का आम चुनाव होना है। उसके ठीक पहले इन दोनों घटनाआंे ने भाजपा नेताओं की नींद हराम कर रखी है।