11 जुलाई को विधानसभा में कांग्रेस भाजपा पर बड़े हमले की तैयारी करके आई थी। उसने भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला कर रखा था। इसकी तैयारी भी वह पिछले दो महीने से कर रही थी। लेकिन जब प्रस्ताव पेश करने का समय आया, तो पार्टी के विधानसभा में नेता और उपनेता आपस में ही भिड़ गए। उनकी इस भिड़ंत से भाजपा को फायदा हुआ। फिर क्या था अविश्वास प्रस्ताव को पेश होने के पहले ही गिरा हुआ मान लिया गया। इस पर किसी प्रकार की कोई चर्चा ही नहीं हुई। विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। पहले की योजना के अनुसार विधानसभा का सत्र 8 जुलाई से शुरू होकर 18 जुलाई तक चलना था, पर कांग्रेस के अंदरूनी कलह का फायदा उठाते हुए भाजपा ने इसे समय से पहले ही स्थगित करवा दिया।
कांग्रेस को यह पता था कि अविश्वास प्रस्ताव पेश कर वह चैहान सरकार को गिरा नहीं सकती, लेकिन उसे पूरा भरोसा था कि इस पर चर्चा करके वह चैहान सरकार का पूरी तरह पर्दाफाश कर देगी। पर कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय सिंह राहुल, जो विधानसभा में विपक्ष के भी नेता हैं, इस मसले पर अपनी बात तक नहीं रख सके। जब वे बोलना शुरू करने वाले थे, उसी समय उनके विधायक दल के ही उपनेता राकेश सिंह चैधरी खड़़े हो गए और उन्होंने घोषणा कर दी कि वह इस अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे इस प्रस्ताव का इसलिए विरोध करते हैं, क्योंकि इसमें उनके प्रस्तावों को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि वे इस अविश्वास प्रस्ताव में मध्यप्रदेश से उत्तराखंड जाकर गुम हो गए 721 श्रद्धालुओं के मामले को शामिल करना चाहते थे। वे राघवजी के मसले को भी इस प्रस्ताव में शामिल करना चाहते थे। लेकिन इन मामलों को इस प्रस्ताव में शामिल नहीं किया गया।
उन्होंने दिग्विजय सिंह के एक ट्विट का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था, ’’बच्चा बच्चा राम का, राघवजी के काम का’’। राकेश सिंह ने कहा कि वे खुद भी हिंदू हैं और राम में आस्था रखते हैं। वे चाहते थे कि इस अविश्वास प्रस्ताव में दिग्विजय सिंह के इस ट्विट को भी शामिल किया जाय, जो हिंदु धर्म और राम का मजाक उड़ा रहा ळें उन्होंने कहा कि दिग्विजय के उस ट्विट से उनकी आस्था को ठेस लगी है।
जैसे ही राकेश सिंह चैधरी ने अपना बयान समाप्त किया, पूरे सदन में हंगामा होने लगा। उस हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष ने घोषित कर दिया कि विधानसभा में विपक्ष के उपनेता द्वारा विरोध किये जाने के बाद यह प्रस्ताव पराजित हो चुका है। इसलिए अब इस पर किसी प्रकार की चर्चा की जरूरत नहीं। उन्होंने उसके बाद भारी हंगामे के बीच ही विधानसभा के इस सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर डाला।
सवाल यह उठ रहा है कि आखिर राकेश सिंह ने यह कदम उठाया ही क्यों? इसका एक कारण तो यह है कि अजय सिंह को विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाए जाने से वे नाराज थे। जब जमुना देवी विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल की नेता थीं, तो उस समय भी श्री चैधरी कांग्रेस विधायक दल के उपनेता थे। जमुना देवी बीमार रहा करती थीं, इसलिए नेता का काम उन्हें ही विधानसभा में संपादित करना पड़ता था। जब जमुना देवी का निधन हो गया, तो उन्हें उम्मीद थी कि उनकी जगह पर विधायक दल का नेता कांग्रेस उन्हें ही बनएगी।
पर वैसा नहीं हुआ। कांग्रेस विधायक दल का नेता अजय सिंह बन बैठे। अजय सिंह स्वर्गीय अर्जुन सिंह के पुत्र हैं। वे दिग्विजय सिंह के रिश्तेदार भी हैं। उस रिश्तेदारी के कारण ही उन्हें विपक्ष के नेता का पद मिला। इसके कारण राकेश सिंह चैधरी लगातार दुखी रह रहे थे। उन्हें लग रहा था कि जो पद उन्हें मिलना चाहिए था, वह अजय सिंह को मिल गया।
नाम से तो लगता है कि राकेश सिंह चैधरी ठाकुर लगते हैं, लेकिन वास्तव में वे ब्राह्मण हैं। वे प्रदेश कांग्रेस में ठाकुरों के बढ़ रहे दबदबे और ब्राह्मणों के हाशिए पर खिसकते जाने से दुखी थे। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पचैरी के खेमे से वे आते हैं। पचैरी को तो पहले ही कांग्रेस के अंदर किनारे लगा दिया गया है और राकेश सिंह की भी अनदेखी हो रही थी। यही कारण है कि कांग्रेस को छोड़ने के लिए वे सही मौके की तलाश कर रहे थे और वह सही मौका उन्हें 11 जुलाई को उस समय मिला, जब भाजपा राघवजी प्रकरण के कारण अपने आपको कठिन परिस्थिति में पा रही थी। भाजपा में शामिल होकर उन्होंने राघवजी प्रकरण के कारण हो रही उसकी तौहीनी के दौर में उसे राहत की सांस लेने का एक अच्छा मौका दे दिया है। (संवाद)
राकेश सिंह का दलबदल कांग्रेस के लिए झटका
राघवजी प्रकरण से डांवाडोल भाजपा को मिला सहारा
एल एस हरदेनिया - 2013-07-13 10:27
भोपालः अविश्वास प्रस्ताव पेश होने के समय ही कांग्रेस विधायक दल के उपनेता राकेश सिंह चैधरी का अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन पकड़ लेना मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ा सदमा है। पार्टी इस स्थिति के लिए बिलकुल ही तैयार नहीं थी। खासकर जब आगामी विधानसभा चुनाव कुछ ही महीनों की दूरी पर हो, तो वैसी स्थिति में इस तरह का माहौल कांग्रेस लिए निश्चय ही बहुत चिंता का कारण है। इस तरह के माहौल में वह भाजपा का चुनाव में सामना कैसे कर पाएगी?