के एम मणि इस समय प्रदेश में वित्त मंत्री हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार को यदि वह छोड़ने का निर्णय करते हैं, तो यह सरकार अल्पमत में आ जाएगी और इसका गिरना सुनिश्चित हो जाएगा। सीपीआई के सचिव पनियन रवीन्द्रन ने एक बयान में कहा कि के एम मणि को उनकी पार्टी अछूत नहीं मानती और वे एक सज्जन पुरुष हैं। उनके उस बयान के पहले अटकलबाजी लगाई जा रही थी कि मणि को मुख्यमंत्री बनाकर एक वैकल्पिक सरकार के गठन का प्रयास चल रहा है।
आरएसपी के नेता पूर्व मंत्री एन के प्रेमचन्द्रन ने समय गंवाए बिना इस विचार का समर्थन कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि मणि यूडीएफ छोड़ने के लिए खुला कदम उठाते हैं, तो इस दिशा में और भी प्रयास किए जाने की जरूरत है।
मणि को मुख्यमंत्री बनाए जाने के ये प्रयास उस समय ठंढे पड़ते दिखाई पड़े, जब सीपीएम ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह इस विचार पर बहुत उत्साहजनक रवैया नहीं रखती। सीपीएम के प्रदेश सचिव पी विजयन ने सीपीआई के प्रदेश सचिव को एक बैठक में साफ साफ कहा कि उस दिशा में सोचने का सही समय अभी नहीं आया है।
सीपीएम का मानना है कि अभी हमे ओमान चांडी की सरकार के इस्तीफे की मांग करनी चाहिए। इसके लिए हमें दबाव भी बढ़ा देना चाहिए। इसके साथ साथ सोलर पैनल घोटाले की न्यायिक जांच की भी मांग करनी चाहिए। उसका कहना है कि चांडी सरकार अपने बोझ से ही दबकर गिर रही है। हमें उसे अपने बोझ से ही गिरने देना चाहिए। विजयन का कहना है कि हमारे इस सिद्धांतवादी कदम से लोकसभा चुनाव में हमें फायदा होगा। जाहिर है, सीपीएम मणि को मुख्यमंत्री बनाकर इस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार को गिराने के लिए उत्साहित नहीं है।
सीपीएम पोलितब्यूरो के सदस्य के बालकृष्णन का भी यही कहना था कि वैकल्पिक सरकार के गठन के बारे में हमें तभी कुछ सोचना चाहिए, जब यूडीएफ के घटक दल उसे छोड़कर उससे बाहर आ जाएं।
सीपीआई के प्रदेश सचिव की इच्छा तो वैकल्पिक सरकार के गठन की थी और वे चाहते थे कि मणि को मुख्यमंत्री बनाने का भरोसा देकर उन्हें यूडीएफ से बाहर लाया जाय, पर सीपीएम के इस मसले पर अलग रुख के कारण उनके उत्साह पर पानी फिर गया है। वे अब सीपीएम की लाइन पर ही आ गए हैं।
लेकिन इस बीच एलडीएफ ने फैसला किया है कि वह चांडी सरकार के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर देगी। वह चांडी से इस्तीफा तो मांग ही रही है, सोलर पैनल घोटाले की अदालती जांच की मांग पर भी वह अडिग हो गई है। उसका मानना है कि प्रदेश सरकार जनमत के आगे अंततः झुक जाएगी।
मणि को मुख्यमंत्री बनाकर यूडीएफ सरकार को गिराने के प्रस्ताव का सीपीएम द्वारा विरोध किए जाने के बाद यूडीएफ सरकार इस समय राहत की सांस ले रही है। मणि द्वारा यूडीएफ छोड़े जाने की संभावना से कांग्रेस चिंतित हो गई है। यूडीएफ के नेता हताशापूर्वक बयान देने लगे थे और मणि गुट को कहने लगे थे कि वह चुनावी जनादेश का सम्मान करें।
सीपीएम के विरोध के बाद के एम मणि ने भी बयान जारी कर कांग्रेस की चिंता को दूर करने की कोशिश की है। उन्होने कहा है कि कांग्रेस को उनके मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। लेकिन यह तथ्य भी किसी से छिपा हुआ नहीं है कि मणि आजकल कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। उन्हें लगता है कि कां्रगेस का रवैया ठीक नहीं है। वह दबाव बनाकर आगामी लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए दो सीट हासिल करना चाहते हैं। उनका बेटा इस समय लोकसभा का सदस्य है। वे चाहते हैं कि उनके बेटे को केन्द्र में मंत्री बना दिया जाय।
आंतरिक दबाव और बाहरी विरोध के कारण प्रदेश में राजनैतिक संकट गहराता जा रहा है। (संवाद)
केरल की यूडीएफ सरकार पर संकट के बादल
एलडीएफ में मणि को मुख्यमंत्री विपक्षी बनाने पर मतभेद
पी श्रीकुमारन - 2013-07-18 14:08
तिरुअनंतपुरमः सोलर पैनल घोटाले व अन्य अनेक राजनैतिक परेशानियों के कारण ओमन चांडी के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार का संकट लगातार गहराता जा रहा है। इस बीच सीपीआई के प्रदेश सचिव द्वारा सत्तारूढ़ केरल कांग्रेस (मणि) के नेता के एम मणि को मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा ने प्रदेश की राजनैतिक स्थिति को और भी अनिश्चित बना दिया है।