गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र कुमार मोदी ने आज अपने आपको उस जगह लाकर खड़ा कर दिया है कि देश की पार्टियों के बीच वे खुद ही एक मुद्दा बन गये हैं। उनका एक विवादास्पद बयान पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाता है। उसी पर चर्चा होती है। फिर उनका एक नया विवादास्पद बयान होता है और फिर चर्चा का केन्द्र उनका नया बयान हो जाता है।

जब से नरेन्द्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, उसी समय से देश की राजनीति मोदी कन्द्रित हो गई है। भाजपा के अंदर की राजनीति ही नहीं, बल्कि उसके बाहर की राजनीति के केन्द्र में भी मोदी ही आ गए हें। वे खुद भी यही चाहते हैं। उन्हें लगता है कि उनके ऊपर किया जाने वाला तेज हमला, उन्हें भाजपा के अंदर ही नहीं, बल्कि भाजपा के बाहर भी उन्हें मजबूत करेगा।

अपनी रणनीति में वे सफल भी हुए हैं। आज भाजपा के प्रवक्ता नरेन्द्र मोदी के बयानों के पक्ष में ही बोलते दिखाई पड़ते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रवक्ता नरेन्द्र मोदी के बयानों की सूक्ष्म समीक्षा करते हुए दिखाई पड़ते हैं। दोनो पार्टियों के लिए मोदी चर्चा के सबसे प्रमुख पात्र बन गए हैं। कांग्रेस और भाजपा के बीच मोदी पर चल रही बहस लगातार तीखी और तेज होती जा रही है। अब उनकी दिलचस्पी देश के असली मुद्दों को उठाने में नहीं रह गई है।

आखिर मोदी की रणनीति क्या है? भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि आगामी 8 महीनों तक मोदी को अपने अभियान को जिंदा रखना है और अपने लिए उन्हें उपयुक्त वातावरण बनाना है। केन्द्रीय राजनीति के केन्द्र में आने के लिए उन्होंने समय से पहले ही अपना अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन इस अभियान को जिंदा रखना उनके सामने एक बड़ी चुनौती है। इसलिए वे बहुत ही सोच विचार कर बयान जारी कर रहे हैं। उसके पीछे उनका एक उद्देश्य हिंदुओं को अपने पक्ष में ध्रुवीकरण करना है। यह इसलिए जरूरी है कि उनके विरोधी अपने पक्ष में मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करने में लगे हुए हैं। इसके साथ साथ वे विकास की भी चर्चा करते रहते हैं।

मोदी कांग्रेस पर जबर्दस्त हमले कर रहे हैं और इसके लिए आतंकवादी गतिविधियों का वह हवाला देते हैं। पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा एक भारतीय सैनिक के सिर काटने की वे बार बार चर्चा कर रहे हैं। गिरते हुए रुपयों से वे कांग्रेस के पतन की चर्चा कर रहे हैं और कंाग्रेस मुक्त भारत बनाने का संकल्प ले रहे हैं। कांग्रेसी धर्मनिरपेक्षता पर भी उनका हमला हो रहा है, तो वे कांग्रेस के वंशबाद को भी नहीं बख्श रहे हैं।

नरेन्द्र मोदी ने अपने आपको हिंदू राष्ट्रवादी बताया तो गुजरात दंगे में लोगों की हुई मौत पर अफसोस जताते हुए कहा कि यदि कुत्ते के बच्चे की भी आपकी गाड़ी के पहिए के नीचे दबने से मौत हो तो आपको तकलीफ तो होती ही है, भले आप गाड़ी की पिछली सीट पर बैठे हुए हों। उनके बयान पर काफी हंगामा हुआ। उसके अगले ही एक दो दिन के अंदर उन्होंने कांग्रेस को धर्मनिरेक्षता के बुर्के में छिपने वाली पार्टी बताया। इसके बाद भी जबर्दस्त विवाद हुआ।

दरअसल नरेन्द्र मोदी इस तरह के बयानों के उस्ताद हैं। वे पहले भी गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान सोनिया गांधी द्वारा मौत के सौदागर वाले बयान को मुद्दा बनाकर कुछ इसी तरह की राजनीति कर चुके हैं। वे मिया मुशर्रफ की रट एक चुनाव में लगातार लगाते रहे थे।

कांग्रेस नरेन्द्र मोदी को लेकर जिस तरह की राजनीति कर रही है, वह भी बहुत अजीब हैं। उसके प्रवक्ता और नेता नरेन्द्र मोदी पर इस प्रकार टूट पड़ते हैं, मानो मोदी को घ्वस्त कर वे दुनिया जीतने वाले हैं। उन्हें मोदी में अपना तारणहार दिखाई देना लगा है। दरअसल कांग्रेस एक के बाद एक घोटालों में फंसी हुई है और बढ़ती महंगाई के कारण भी जनता उससे निराश है। चुनाव के लिए उनके पास बहस के मसले बहुत कम है। इसलिए नरेन्द्र मोदी के बयानों को वह अपने लिए ईश्वर का वरदान मानती है। कांग्रेस को लगता है कि नरेन्द्र मोदी द्वारा ध्रुवीकृत राजनीति का उसे फायदा होगा।

पर क्या पता कांग्रेस मोदी के जाल में फंस रही हो? हालांकि उसे लगता है कि मोदी उसके जाल में फंस रहे हैं। इस समय यह कहना कठिन है कि कौन किसके जाल मे फंस रहा है। (संवाद)