इसी संशय और भ्रम के बीच मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने दिल्ली की अपनी यात्रा शुरू की, जहां प्रदेश कांग्रेस और सरकार को लेकर चर्चा होनी है और फिर कुछ न कुछ निर्णय होने हैं। अपनी यात्रा पर जाने के क्रम में मुख्यमंत्री ने हवाई अड्डे पर पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस के लिए अच्छी खबर आने वाली है।

फिलहाल तो दिल्ली से आने वाली खबरें अच्छी नहीं हैं। सोलर पैनल घोटाले के बाद जो बातें हुई हैं, उनसे कांग्रेस के अंदर की दरार और भी सामने आई हैं। केरल मे एक कहावत है कि नाव अभी भी तिरुनकारा नदी में फंसी हुई है। इसका मतलब है कि अभी तक किसी तरह की कोई प्रगति नहीं हुई है। आज केरल में कांग्रेस और सरकार के लिए यही कहावत सही साबित हो रही है।

केरल में हुई बातचीत की यदि हम चर्चा करें, तो साफ दिखाई पड़ता है कि गतिरोध पहले की तरह ही कायम है। प्रदेश कांग्रेस के दो गुटों के बीच तलवारें तनी हुई हैं। एक गुट के नेता हैं मुख्यमंत्री ओमन चांडी, तो दूसरे गुट के नेता हैं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश चेनिंथाला। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि रमेश उनकी सरकार में बतौर मंत्री शामिल हो जाएं। वे उन्हें उपमुख्यमंत्री का ओहदा भी देना चाहते हैं।

पर रमेश इसके लिए कतई तैयार नहीं हैं। एक समय था, जब वे चांडी सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार थे, बशर्ते कि उन्हें गृह मंत्रालय दिया जाय। पर बदली हुई परिस्थितियों मे वे सरकार में शामिल होने को तैयार नहीं दिखते। उनका और उनके गुट के लोगों का मानना है कि उनके सरकार मे शामिल होने का अभी सही वक्त नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री की बदनामी के साथ पूरी सरकार की ही बदनामी हो रही है। यदि रमेश इस समय सरकार में शामिल हुए, तो बदनामी की दाग उनपर भी लगेगी।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री अपनी पूरी ताकत रमेश को अपनी सरकार में शामिल कराने के लिए लगा रहे हैं। उन्हें लगता है कि रमेश के मंत्रिमंडल में शामिल होते ही उनकी सरकार का संकट समाप्त हो जाएगा। पर उनके विरोधी कहते हैं कि सरकार के अंदरूनी फेरबदल से प्रदेश में न तो सरकार का संकट समाप्त होगा और न ही पार्टी का। वे कहते हैं कि भारी बदलाव की जरूरत है और भारी बदलाव से उनका मतलब मुख्यमंत्री के बदल दिए जाने से ही है।

रमेश को लग रहा है कि उपमुख्यमंत्री पद का लालच दे मुख्यमंत्री उन्हें अपनी जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। वैसा करने से उनकी अपनी हालत पतली हो जाएगी। इसलिए उनका गुट चांडी की शर्तो पर खेल खेलने को तैयार नहीं है।

यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के दोनों मुख्य सहयोगियों का भी अब यही मानना है कि मंत्रिमंडल में फेरदबल से समस्या का हल नहीं निकलेगा। ये दल हैं केरल कांग्रेस (मणि) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग। इन दोनों दलों के नेताओं को दिल्ली बातचीत के लिए बुलाया गया है। कांग्रेस आलाकमान कोई निर्णय लेने के पहले उनकी राय भी जानना चाहता है। इन दोनों दलों के नेता भी अपनी राय से कांग्रेस के केन्द्रीय नेताओ को अवगत कराएंगे। चांडी के लिए चिंता का कारण यह है कि दोनों दलों के नेता रमेश को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं। मुस्लिम लीग का तो कहना है कि उसके नेता को उपमुख्यमंत्री का दर्जा दिया जाय।

ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री ओमन चांडी की हालत वास्तव में बहुत नाजुक है। यदि दोनों सहयोगी दलों ने अपना रुख नहीं बदला, तो चांडी की हालत और भी नाजुक हो जाएगी। (संवाद)