प्रदेश के दो खनन उद्यमियों की डायरियों ने भाजपा की छवि को बिगाड़ डाला है। वे उद्यमी हैं दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा। इन दोनों को अनेक भाजपा नेताओं का करीबी माना जाता है। सूर्यवंशी को तो मुख्यमंत्री के ही काफी करीबी माना जाता है, जबकि सुधीर शर्मा लक्ष्मीकांत शर्मा के करीबी रिश्तेदार हैं। कम से कम राजनैतिक क्षेत्रों में तो यही माना जाता है।
उन डायरियों को आयकर छापे में जब्त किया गया था। वे छापे श्री शर्मा और सूर्यवंशी के आवासीय और व्यावसायिक ठिकानों पर पिछले साल जून महीने में मारे गए थे। उन डायरियों में खनन मंत्री राजेन्द्र शुक्ला और उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को दिए गए घूस के उल्लेख हैं। उन दोनों मंत्रियों के अलावा प्रदेश सरकार के अनेक अधिकारियों को दिए गए घूस का भी उनमें उल्लेख है।
उन डायरियों के अलावा छापों में एक पत्र भी मिला है। वह पत्र शर्मा के बिजनेस सहयोगी जे एस वालिया द्वारा भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी को लिखा गया है। उस पत्र में गडकरी से खनन लाइसेंस मिलने में सहायता की मांग की गई है।
डायरी से पता चलता है कि एक प्रोजेक्ट के लिए खनन मंत्री राजेन्द्र शुक्ल को 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया। उसी प्रोजेक्ट के लिए विभाग के सचिव को 20 लाख रुपये दिए गए, जबकि मंत्री के विशेष कार्य अधिकारी को 10 लाख रुपये दिए गए। विभाग के एक अंडर सेकरेटरी को 5 लाख रुपये दिए गए थे।
एक अलग मामले में आयकर अधिकारियों को घूस की लेनदेन से संबंधित संदेशों के आदान प्रदान के दस्तावेजी सबूत भी मिल हैं। एक संदेश से पता चलता है कि लक्ष्मीकांत जी को 5 लाख रुपये दो किश्तों में प्राप्त हुए। एक अन्य संदेश में लिखा हुआ है कि लक्ष्मीकांत जी को 5 किलाग्राम कल दिया जाएगा। एक आयकर अधिकारी का कहना है कि लाख रुपये के लिए किलाग्राम शब्द का इस्तेमाल संदेश में किया गया है।
विपक्षी सूत्रों का दावा है कि मध्यप्रदेश का खनन घोटाला कर्नाटक के खनन घोटाले के बराबर है। आयकर अधिकारियों का दावा है कि सूर्यवंशी और शर्मा की कंपनियों ने पिछले 6 साल के दौरान 3 हजार से 4 हजार करोड़ रुपये का खनन किया, जबकि उसने इससे बहुत ही कम खनन दिखाया है। आयकर अधिकारियों का दावा है कि अनेक विभागों के अनेक अफसरों को घूस दिए गए, ताकि खान से निकाले गए खनिज पदार्थो की मात्रा को ही दिखाया जा सके और बड़े हिस्सों के खनन का कोई हिसाब ही नहीं रखा जाए।
इन दोनों उद्योगपतियों ने अधिकारियो के अलावा आरएसएस और भाजपा के पदाधिकारियों का भी काफी ख्याल रखा और उनको खुश रखने की दिशा में सारे कदम उठाए। भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के अनेक हवाई दौरों का इंतजाम इन खनन उद्यमियों ने ही किया। संघ के नेता सुरेश सोनी को भी इन लोगों ने हवाई यात्रा अपने पैसे से करवाई। अन्य अनेक नेताओ के नाम भी सामने आए हैं, जिन्हें इन कंपनियों के मालिकों ने फायदे पहुंचाए। श्री झा आयकर अधिकारियों के दावे का खंडन करते हैं। उनका कहना है कि वे संसद के सदस्य हैं और उनकी हवाई यात्रा का खर्च भारत सरकार उठाती है।
यदि श्री प्रभात झा की बात को मान भी लिया जाय कि उनकी हवाई यात्रा का खर्च भारत सरकार उठाती है, तो सुरेश सोनी के खिलाफ लग रहे आरोप पर क्या कहा जाय? उनकी हवाई यात्रा का खर्च तो सरकार नहीं उठाती। श्री सोनी संघ के मध्यप्रदेश अधिकारी हैं और उनका राज्य सरकार व मुख्यमंत्री पर भारी प्रभाव माना जाता है। सोनी पर लग रहे आरोपो से मुख्यमंत्री की स्थिति और भी कमजोर होती दिखाई पड़ रही है। (संवाद)
टैक्स दस्तावेजों के खुलासे के बाद मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री संकट में
एल एस हरदेनिया - 2013-08-04 03:26
भोपालः मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की परेशानियों का कोई अंत होता नहीं दिखाई दे रहा है। सीएनएन- आईबीएन और हिंदू सके सर्वेक्षण से पता चल रहा था कि मध्यप्रदेश में भाजपा को आगामी चुनावों में भारी सफलता मिलने वाली है। इसके कारण भाजपा के हौसले बुलंद हो रहे थे, लेकिन टैक्स विभाग द्वारा किए गए खुलासे ने उसकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचाया है। इस बीच प्रदेश के राज्यपाल ने सरकार को कहा है कि वह स्थगित किए गए विधानसभा सत्र को दुबारा आहूत करें और विपक्ष द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वहां चर्चा हो।