मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव सहित उनके परिवार के कुछ और सदस्य आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई की जांच का सामना रहे हैं। यह जांच अदालत के आदेश पर हो रही है। यह मामला अदालत में भी है। मुलायम सिंह चाहते हैं कि कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार उनके और उनके परिवार के लोगो को इस मामले से उबारे।
समय समय पर केन्द्र सरकार को समर्थन देने के पीछे भी मुलायम सिंह की वही मजबूरी रही है। भले वे भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के नाम पर कांग्रेस का समर्थन करते रहे हों, लेकिन सच्चाई यही है कि वे मुकदमों में फंसने से बचने के लिए कांग्रेस का साथ देते रहे हैं। और कंाग्रेस भी उन्हें लगातार बचाती रही है। पर कांग्रेस पूरी तरह उन्हें आरोप मुक्त होते देखना भी नहीं चाहती, क्योंकि यदि एक बार मुलायम सिंह को सीबीआई और अदालत की क्लीन चिट मिल गई, तो फिर वे कांग्रेस के हाथ से निकल जाएंगे।
पर अब मुलायम सिंह कांग्रेस की पकड़ से पूरी तरह निकलने के लिए बेचैन दिखाइ्र पड़ रहे हैं। खाद्य सुरक्षा विधेयक को वह इसके लिए मोलभाव का आइटम बना रहे हैं। वे चाहते है। कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में चल रहा उनके ऊपर मामला पूरी तरह से समाप्त हो जाय, तभी वे इस विधेयक के पक्ष में मतदान करेंगे।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी धुर विरोधी मायावती ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के समर्थन का फैसला कर डाला है। इसके कारण कांग्रेस राहत की सांस ले रही है। उसे संसद के मानसून सत्र में ही खा़द्य़ सुरक्षा विधेयक को पास करवाना है। इस विधेयक का जबर्दस्त विरोध हो रहा है। इसलिए बसपा द्वारा इसे मिला समर्थन कांग्रेस के लिए खास मायने रखता है।
मायावती ने हाल ही में लखनऊ में कहा था कि लोगों मैं इस विधेयक को सैद्धांतिक तौर पर समर्थन करती हूं। लोगों को अनाज कम कीमत पर मिलनी चाहिए।
लेकिन मायावती ने केन्द्र द्वारा अध्यादेश से इसे लागू करने के प्रयास का विरोध किया। उन्होंने कहा कि अध्यादेश हड़बड़ी में लाया गया था। कानून बनाने के पहले इसे संसद में विस्तार से चर्चा का विषय बनाया जाना चाहिए था और इस पर आम सहमति की कोशिश की जानी चाहिए थी।
बसपा प्रमुख ने कहा कि कुछ साल पहले भारी मात्रा में अनाज सड़ रहे थे। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस अनाज को गरीब लोगो ंमें बांट दिया जाय, पर सरकार ने ऐसा नहीं किया, क्योंकि तब खाद्य सुरक्षा कानून जैसा कोई कानून नहीं था।
मायावती ने कहा कि यह दो साल पहले की बात है। उस समय अनाज सड़ गया और अनेक लोग भूख से मर गए। ऐसी परिस्थिति में इस तरह का कानून तुंरत लाया जाना चाहिए था, पर केन्द्र सरकार ने देर कर दी। मायावती ने इस विधेयक को देर से लाने के लिए केन्द्र सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि जब उस सरकार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, तब उसने सबके लिए अनाज का यह नारा देना शुरू किया है।
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव वर्तमान रूप में खाद्य सुरक्षा विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
यूपीए सरकार मुलायम सिंह की भूमिका को लेकर खास चिंतित दिखाई दे रही है। उसे संसद के वर्तमान सत्र में मुलायम सिंह का समर्थन सिर्फ खाद्य सुरक्षा विधेयक को पारित करवाने के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य अनेक विधेयकों को पास कराने के लिए भी चााहिए। (संवाद)
मुलायम के यूपीए के समर्थन की शर्तें रखीं
मुकदमे से केन्द्र सरकार उन्हें उबारे
प्रदीप कपूर - 2013-08-05 14:07
लखनऊः बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के समर्थन की घोषणा कर दी है, लेकिन समाजवादी पार्टी इस मसले पर यूपीए सरकार से मोलभाव करने में जुटी हुई है। वह पहले इसके बारे में मिश्रित संदेश दे रही थी।